कोरोना की उत्पत्ति का सुलझे रहस्य, महामारी से अब तक 60 लाख से ज्यादा लोगों की मौत
कोरोना वायरस की उत्पत्ति कहां से हुई? इस सवाल का जवाब 3 साल बाद भी नहीं मिल पाया है। हालांकि कई संस्थाएं इसका पता लगाने में जुटी हुई हैं। कोरोना की सच्चाई का सामने आना इसलिए जरूरी है ताकि भावी आपदाओं से निपटा जा सके।

नई दिल्ली, प्रदीप। कोविड-19 महामारी के करीब तीन साल बीत जाने के बाद यह बहस जारी है कि यह आखिर आई कहां से? यह कोई प्राकृतिक प्रकोप है या मानव-निर्मित आपदा? महामारी के शुरुआती दौर में इसके स्रोत पर काफी चर्चा हुई। तब कहा गया कि यह समय कोविड से सबको एकजुट होकर लड़ने का है, न कि आरोप-प्रत्यारोप और विवाद का। इस वजह से यह बहस धीमी पड़ गई और ठीक से जांच नहीं की जा सकी। अब वे सवाल दोबारा उठाए जा रहे हैं। वजह है अमेरिकी सीनेट की स्वास्थ्य समिति की रिपोर्ट में कोरोना वायरस के चीनी प्रयोगशाला से लीक होने का दावा।
कोरोना वायरस प्राकृतिक प्रकोप है या मानव-निर्मित आपदा?
रिपोर्ट को उन विज्ञानियों ने तैयार किया गया है, जिन्होंने कोरोना वायरस के जीनोम में जेनेटिक इंजीनियरिंग या असामान्य जीनोम सीक्वेंस के साक्ष्य मिलने का दावा किया है। हालांकि, अभी भी तमाम विज्ञानी मानते हैं कि यह वायरस चीन के वुहान स्थित वेट मार्केट में जानवरों से इंसानों में फैला था। अमेरिकी सीनेट द्वारा जारी हालिया रिपोर्ट में वायरस की लैब उत्पत्ति को लेकर कोई ठोस सबूत प्रस्तुत नहीं किया गया है। इसलिए कई विशेषज्ञ इस पर सवाल उठा रहे हैं।
वायरस लैब निर्मित होता तो सिर्फ...!
चूंकि वुहान इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी के नजदीक ही इस वायरस के शुरुआती संक्रमण फैले थे, इसलिए यह संदेह अभी भी कायम है कि कोरोना इसी प्रयोगशाला से लीक हुआ होगा। फरवरी और मार्च 2020 में दो प्रतिष्ठित साइंस जर्नलों लैंसेट और नेचर मेडिसिन में प्रकाशित शोधपत्रों में दावा किया गया कि यह वायरस प्राकृतिक क्रमिक विकास का परिणाम है। उक्त शोधपत्रों के अनुसार, अगर ये वायरस लैब निर्मित होता तो सिर्फ और सिर्फ इंसानों के जानकारी में पाए जाने वाले कोरोना वायरस के जीनोम सीक्वेंस से ही इसका निर्माण किया जा सकता। हालांकि, जब कोरोना के जीनोम को अब तक के ज्ञात जीनोम सीक्वेंस से मैच किया गया तब वह पूर्णतया प्राकृतिक और अलग वायरस के तौर पर सामने आया।

मानवता के हित में कोरोना की सच्चाई का सामने आना बेहद जरूरी
मई 2021 तक, ‘प्राकृतिक तरीकों से वायरस की उत्पत्ति’ को ही ज्यादा बल मिलता रहा, पर इसके बाद यह सामने आया कि जिन विज्ञानियों ने लैंसेट और नेचर मेडिसिन में वायरस के किसी प्रयोगशाला से लीक होने की संभावनाओं को नकारा था, उनमें से कई विज्ञानियों के तार कोरोना वायरस में जेनेटिक फेरबदल के ‘गेन आफ फंक्शन’ अनुसंधान से जुड़े थे। विज्ञान और मानवता के हित में कोरोना की सच्चाई का सामने आना बेहद जरूरी है, न सिर्फ इस सवाल के जवाब के लिए कि जिस वायरस ने अब तक लाखों लोगों को मौत के घाट उतार दिया उसकी उत्पत्ति कैसे हुई, बल्कि इस जानकारी से भविष्य में ऐसी किसी महामारी को फैलने से रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने में भी मदद मिलेगी।
(लेखक विज्ञान संचारक हैं)

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