कोरोना संक्रमण के दूरगामी दुष्प्रभाव ने बढ़ाया है अन्य संक्रमण का भी खतरा, शोध में हुआ खुलासा
श्लुटर ने चेतावनी दी है कि चूंकि रोगियों ने अपनी बीमारी के लिए विभिन्न प्रकार के उपचार प्राप्त किए हैं इसलिए जांच पूरी तरह से उन सभी कारकों के लिए जिम्मेदार नहीं हो सकती है जिन्होंने उनके माइक्रोबायोम के विघटन और उनकी बीमारी को खराब करने में योगदान दिया हो।

वाशिंगटन, प्रेट्र : कोरोना संक्रमण की चपेट में आने वाले करोड़ों लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ा है। संक्रमण से उबरने के बावजूद दुनियाभर के लाखों लोग कई तरह की गंभीर शारीरिक परेशानियों से जूझ रहे हैं। कोरोना संक्रमण के दूरगामी दुष्प्रभाव का अध्ययन करने वाले विज्ञानियों ने एक नए शोध में बताया है कि सार्स सीओवी-2 वायरस रोगी की आंत में बैक्टीरिया की प्रजातियों की संख्या को कम कर सकता है। आंत में बैक्टीरिया की कम विविधता खतरनाक रोगाणुओं के पनपने का कारण बन सकती है।
विज्ञानियों ने बताया कि आंत में विविध प्रकार के बैक्टीरिया पाए जाते हैं। इन्हें माइक्रोबायोम के तौर पर जाना जाता है। अध्ययन से पता चला कि अधिकांश रोगियों की आंत में बैक्टीरिया की विविधता कम थी। अध्ययन में कहा गया है कि महामारी की शुरुआत में व्यापक रूप से एंटीबायोटिक उपयोग के कारण इस तरह का असंतुलन पैदा हुआ है। इससे वैसे बैक्टीरिया ही बच सके जिसकी प्रतिरोधक क्षमता अधिक थी। बताया गया कि आंत में पाए जाने वाले एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया 20 प्रतिशत रोगियों में रक्तप्रवाह में चले गए थे।
इस अध्ययन के लिए एनवाईयू ग्रासमैन स्कूल आफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में 96 पुरुषों और महिलाओं को जांच में शामिल किया गया, जिन्हें वर्ष 2020 में न्यूयार्क शहर और न्यू हेवन में कोरोना संक्रमित होने के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अध्ययन के सह-वरिष्ठ लेखक केन कैडवेल ने कहा कि कोरोना वायरस सीधे आंत में माइक्रोबायोम के स्वस्थ संतुलन में हस्तक्षेप करता है। इससे मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बुरी तरह प्रभावित हो जाती है। कैडवेल ने कहा कि हमने इस अध्ययन से जीवाणु असंतुलन के प्रमुख कारण को उजागर कर दिया है। अब चिकित्सक उन रोगियों की बेहतर पहचान कर सकते हैं, जिन्हें दोबारा संक्रमण का खतरा है। यह अध्ययन नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित किया गया है। कैडवेल के अनुसार नए अध्ययन से जानकारी मिली कि कोरोना वायरस अकेले आंत के माइक्रोबायोम को नुकसान पहुंचाता है। अध्ययन ने पहला सबूत भी दिया कि आंत में वही बैक्टीरिया मरीजों के रक्त प्रवाह में प्रवेश कर रहे थे, जिससे खतरनाक संक्रमण हो रहा था।
शोध टीम ने यह भी बताया कि एंटीबायोटिक दवाओं के व्यापक उपयोग ने एंटीबायोटिक दवाओं के लिए प्रतिरोधी बैक्टीरिया को अधिक प्रजातियों को जगह दी है। इसके अलावा, आंत के जीवाणु अनुपात में व्यवधान को पहले से अधिक गंभीर माना गया है। हालांकि, शोधकर्ताओं का कहना है कि यह अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कोरोना वायरस आंत के माइक्रोबायोम को बाधित करता है या पहले से ही कमजोर आंत शरीर को वायरस के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती है। विज्ञानियों ने बताया कि इससे मरीजों को अन्य कई प्रकार के संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है।
इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने पहले दर्जनों चूहों को कोरोना वायरस से संक्रमित किया और उनके मल के नमूनों में बैक्टीरिया की प्रजातियों का विश्लेषण किया। इससे यह पता चला कि क्या कोरोना वायरस माइक्रोबायोम को सीधे बाधित कर सकता है। इसके बाद विज्ञानियों ने एनवाईयू लैंगोन हेल्थ और येल यूनिवर्सिटी के अस्पतालों में कोरोना रोगियों के मल और रक्त परीक्षण के लिए नमूने एकत्र किए, ताकि आंत के सूक्ष्म जीव संरचना और माध्यमिक संक्रमण की उपस्थिति का आकलन किया जा सके। यदि कोई बैक्टीरिया समूह आंत में रहने वाले अधिकांश जीवाणुओं से बना है, तो उन्हें प्रमुख माना जाता है। अध्ययन के वरिष्ठ लेखक जोनास श्लुटर कहते हैं कि हमारे परिणाम इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि कैसे आंत माइक्रोबायोम और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के विभिन्न हिस्से आपस में जुड़े हुए हैं। "एक में संक्रमण दूसरे में बड़े व्यवधान पैदा कर सकता है।"

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