मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का SC को जवाब- सुधार के नाम पर नहीं बदल सकते कानून
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने शुक्रवार को ट्रिपल तलाक को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी नोटिस का जवाब दिया है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। ट्रिपल तलाक यानी तीन बार तलाक-तलाक-तलाक बोलकर तलाक दे देने का मुद्दे पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपना जवाब दाखिल करते हुए हुए साफ किया कि मुस्लिम पर्सनल लॉ को कोर्ट नहीं बदल सकते हैं।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से सर्वोच्च अदालत को बताया गया है कि सामाजिक सुधार के नाम पर मुस्लिम पर्सनल लॉ को बदला या दोबारा नहीं लिखा जा सकता है। इससे पहले 27 अगस्त को इस बात की सुनवाई हुई थी कि क्या इस्लाम में किसी व्यक्ित को चार शादियां करने की इजाजत है? क्या बिना तलाक लिए पति दूसरी शादी कर सकता है?
Muslim Personal Law Board submits reply before SC, says "Personal laws can't be challenged as it's violation of Part III of constitution"
— ANI (@ANI_news) September 2, 2016
पढ़ें- आला हजरत का फतवा : महिला बोलेगी तलाक-तलाक-तलाक, देवबंद भी सहमत
चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने संकेत दिए थे कि प्रथम दृश्टया ऐसा लगता है कि मुस्लिम व्यक्ित के पहली पत्नी को तलाक दिए बिना चार पत्नियां रखने में कुछ भी गलत नहीं है।
इस बेंच में शामिल जस्टिस एएम कानविल्कर और डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि जब तक मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत तीन बार तलाक-तलाक कहने की इजाजत को खत्म नहीं किया जाता, तब तक कोई भी व्यक्ित तीन बार तलाक-तलाक बोलकर पत्नी से डायवोर्स ले सकता है।
हालांकि, बेंच ने ट्रिपल तलाक को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया था और निर्देश दिया कि इस याचिका को ऐसी ही अन्य याचिकाओं के साथ टैग किया जाए, जिसमें केंद्र और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से पहले से ही उनकी प्रतिक्रिया मांगी गई है।
पढ़ें- सऊदी अरब से वाट्सएप पर दिया तलाक, मौलवी नहीं मान रहे जायज