Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'इसलिए चुप था क्योंकि...', मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस में बरी वाहिद शेख ने मांगा 9 करोड़ का मुआवजा

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 01:10 PM (IST)

    2006 के मुंबई सीरियल ट्रेन ब्लास्ट मामले में आरोपी डॉ. दीन मोहम्मद शेख ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से 9 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की है। कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया है लेकिन उन्होंने कहा कि 9 साल की जेल और परिवार को हुई पीड़ा की भरपाई नहीं हो सकती। उन्होंने सामाजिक भावनात्मक और आर्थिक नुकसान का हवाला देते हुए मुआवजे की मांग की है।

    Hero Image
    मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस में बरी वाहिद शेख ने मांगा 9 करोड़ का मुआवजा। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मुंबई में साल 2006 में मुंबई सीरियल ट्रेन ब्लास्ट ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। महज कुछ मिनट में हुए इन धमाकों ने 187 लोगों की जान ले ली थी। वहीं, इस हादसे में 600 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस मामले में एटीएस ने कई लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें से एक थे डॉ. दीन मोहम्मद शेख, जिन्हें इस मामले में आरोपी बनाया गया और उनकी गिरफ्तारी हुई।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इसके बाद नौ साल तक जेल में कैद रहे। इसी साल कोर्ट ने उनको बरी कर दिया है। हालांकि, पिछले 9 सालो में उनके परिवार पर जो गुजरा है, उसने उनके परिवार पर एक गहरा जख्म दिया है। अब 46 साल के वाहिद दीन मोहम्मद शेख ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और अन्य आयोगों से 9 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की है।

    9 करोड़ रुपये मुआवजे की मांग

    डॉ. दीन मोहम्मद शेख ने कहा कि ये लड़ाई केवल पैसे की नहीं है, बल्कि इंफाफ और स्वीकार्यता की है। उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अलावा महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय अल्पसंख्य आयोग से कारावास की अवधि और पीड़ा के लिए 9 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की है।

    क्या बोले मोहम्मद शेख?

    46 साल के डॉ. वाहिद दीन मोहम्मद शेख ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि साल 2006 में मुझे इस बम ब्लास्ट मामवे में मकोका के तहत एटीएस द्वारा झूठा फंसाया गया। नौ साल तक जेल में रहने के बाद 11 सितंबर 2015 को न्यायाधीश यातिन डी. शिंदे की माननीय विषेश अदालत ने मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं पाया और फिर मुझे बरी कर दिया गया। मैं जेल से तो बाहर आ गया, हालांकि, जो नौ साल मैंने जेल में गंवाए, जो अपमान मैंने झेला और जो दर्द मेरे परिवार ने झेला, उसकी भरपाई कभी नहीं की जा सकी है।

    अपने निजी जीवन के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि इन नौ सालों में मैंने अपनी जवानी के सबसे महत्वपूर्ण साल खोए हैं। आजादी की गरिमा गंवा दी है। मुझे हिरासत के दौरान प्रताड़ित किया गया। इन दिनों में मुझे आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा।

    'सामाजिक और भावनात्मक नुकसान उठाना पड़ा'

    उन्होंने बताया कि वह एक स्कूल शिक्षक हैं और परिवार के एकमात्र कमाने वाले हैं। उन्होंने आगे कहा कि जेल में रहने के दौरान उनके परिवार को सामाजिक, भावनात्मक और आर्थिक रूप से काफी नुकसान उठाना पड़ा। शेख ने दावा किया कि उन पर इलाज और रहने के खर्च के लिए लगभग 30 लाख रुपये का कर्ज़ भी था। याचिका में उल्लेख किया गया है कि उन्होंने नैतिक कारणों से दस साल तक मुआवजा नहीं मांगा।

    जानिए पूरा मामला

    गौरतलब है कि महाराष्ट्र पुलिस के एटीआएस ने साल 2006 में हुए ट्रेन विस्फोट मामले की जांच के दौरान 13 लोगों को गिरफ्तार किया था। उनपर मुकदमा चलाया गया। लंबी सुनवाई के बाद विशेष अदालत ने डॉ. शेख को बरी कर दिया। वहीं, शेष 12 आरोपियों को आजीवन कारावास या मौत की सजा सुनाई थी। बाद में बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील दायर की गई और इसी साल जुलाई में सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया गया। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

    यह भी पढ़ें: मनीषा कोइराला ने हिंदू राष्ट्र का किया समर्थन, अभिनेत्री का पुराना वीडियो वायरल

    यह भी पढ़ें: मुंबई एयरपोर्ट पर नारियल और तेल की बोतलें चोरी कर फंसे 15 अधिकारी, नौकरी से बर्खास्त