'बच्चे को अभिभावक से दूर नहीं रख सकते', कोर्ट के इस फैसले ने बदल दी तीन जिंदगियां
मुंबई की एक अदालत ने 12 साल पहले एक नाबालिग लड़की के अपहरण के आरोप में गिरफ्तार महिला को जमानत देते हुए कहा कि सात साल की मासूम बच्ची को उसके प्राकृतिक अभिभावक के स्नेह से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। आरोपित महिला उस सात साल की बच्ची की मां है। अदालत ने कहा कि आरोपित महिला अपनी बच्ची के साथ से वंचित है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लगभग 12 वर्ष पहले एक नाबालिग लड़की के 'अपहरण' के आरोप में गिरफ्तार महिला को जमानत देते हुए मुंबई की एक अदालत ने कहा कि सात साल की मासूम बच्ची को उसके ''प्राकृतिक अभिभावक के स्नेह'' से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।
आरोपित महिला उस सात साल की बच्ची की मां है। उसकी गिरफ्तारी के बाद से वह बच्ची मुंबई के अंधेरी इलाके में एक बाल गृह में रह रही है। यह मामला 2013 में सात साल की एक बच्ची के 'अपहरण' से जुड़ा है। अपहृत बच्ची लगभग एक दशक बाद मिली। इसके बाद आरोपित महिला और उसके पति को 2022 में गिरफ्तार कर लिया गया था।
अदालत ने क्या कहा?
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एसएम तकलीकर (दिंडोशी कोर्ट) ने महिला को जमानत देते हुए कहा कि आरोपित महिला अपनी बच्ची के साथ से वंचित है क्योंकि वह पिछले तीन वर्षों से बिना किसी सुनवाई के जेल में है। बच्ची पिछले तीन वर्षों से अपने माता-पिता से नहीं मिली है। इसमें कोई शक नहीं कि वह बाल भवन में भर्ती है जहां उसकी देखभाल की जा रही है और उसे सुरक्षा प्रदान की जा रही है।
अदालत ने कहा, ''सात साल की बच्ची को उसके प्राकृतिक अभिभावक के स्नेह से वंचित नहीं किया जाएगा।''
जानिए क्या है मामला?
अभियोजन पक्ष के अनुसार, अपहृत बच्ची की मां ने 22 जनवरी, 2013 को मुंबई के डीएन नगर थाने में अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जब उसकी सात साल की बेटी स्कूल से घर नहीं लौटी थी। तीन अगस्त, 2022 तक उसका कोई पता नहीं चला। एक दिन पीड़ित महिला के एक पड़ोसी को एक अनजान महिला का वीडियो काल आया जिसमें लापता बच्ची जैसी दिखने वाली एक लड़की दिखाई दे रही थी। पड़ोसी ने उस बच्ची की पहचान पीडि़त महिला की बेटी के रूप में की।
वीडियो से प्राप्त लोकेशन के बाद वह महिला उस स्थान पर पहुंची जहां उसे उसकी बेटी मिली। अपनी आपबीती बताते हुए पीडि़त महिला ने अपने बयान में आरोप लगाया कि 2013 में दो लोग उसे आइसक्रीम दिलाने का वादा करके ले गए थे। वे उसे गोवा ले गए और कई महीनों तक वहीं रखा।
इसके बाद वे मुंबई के विले पार्ले आए, एक किराए का मकान लिया और चार महीने तक वहां रहे। फिर उसे वापस गोवा ले गए। आरोपितों ने उसका कर्नाटक के एक स्कूल में दाखिला कराया और एक साल तक वहीं रखा। 2015 में वे मुंबई आए और तब से यहीं रह रहे हैं।
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