'बेटी को मां से दूर नहीं रख सकते', जेल में बंद महिला को कोर्ट ने दी जमानत; जानिए पूरा मामला
मुंबई की एक अदालत ने अपहरण के आरोप में गिरफ्तार महिला को जमानत देते हुए कहा कि उसकी बच्ची को मां के स्नेह से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। आरोपी महिला की सात साल की बच्ची गिरफ्तारी के बाद से बाल गृह में रह रही है और तीन साल से अपनी माँ से नहीं मिली है।

पीटीआई, मुंबई। अपहरण के आरोप में गिरफ्तार महिला को जमानत देते हुए मुंबई की एक अदालत ने कहा कि उसकी बच्ची को मां से दूर रखकर उसके स्नेह से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। आरोपित महिला सात साल की बच्ची की मां है। महिला की गिरफ्तारी के बाद से वह बच्ची अंधेरी इलाके में एक बाल गृह में रह रही है। वह तीन साल से अपनी मां से नहीं मिली है।
यह मामला 2013 में सात साल की एक बच्ची के अपहरण से जुड़ा है। अपहृत बच्ची को लगभग एक दशक बाद उसके असली माता-पिता से मिलवा दिया गया जबकि आरोपित महिला और उसके पति को 2022 में गिरफ्तार कर लिया गया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एसएम तकलीकर (दिंडोशी कोर्ट) ने आरोपित महिला को जमानत देते हुए कहा कि वह अपनी बच्ची के साथ से वंचित है क्योंकि वह पिछले तीन वर्षों से बिना किसी सुनवाई के जेल में है।
3 साल से मां-बाप से नहीं मिली बच्ची
बच्ची पिछले तीन वर्षों से अपने माता-पिता से नहीं मिली है। इसमें कोई शक नहीं कि वह बाल भवन में भर्ती है जहां उसकी देखभाल की जा रही है और उसे सुरक्षा प्रदान की जा रही है। अदालत ने कहा, 'सात साल की बच्ची को उसके प्राकृतिक अभिभावक के स्नेह से वंचित नहीं किया जाएगा।'
अभियोजन पक्ष के अनुसार, अपहृत बच्ची की मां ने 22 जनवरी, 2013 को मुंबई के डीएन नगर थाने में अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जब उसकी सात साल की बेटी स्कूल से घर नहीं लौटी थी। तीन अगस्त, 2022 तक उसका कोई पता नहीं चला। एक दिन पीड़ित महिला के एक पड़ोसी को एक अनजान महिला का वीडियो कॉल आया जिसमें लापता बच्ची जैसी दिखने वाली एक लड़की दिखाई दे रही थी।
अपहरण के मामले में जेल में बंद
पड़ोसी ने उस बच्ची की पहचान पीड़ित महिला की बेटी के रूप में की। वीडियो से प्राप्त लोकेशन के बाद वह महिला उस स्थान पर पहुंची जहां उसे उसकी बेटी मिली। अपनी आपबीती बताते हुए पीड़िता ने बताया कि आरोपित महिला व उसका पति 2013 में उसे आइसक्रीम दिलाने का वादा करके अपने साथ ले गए थे।
बाद वे उसे गोवा ले गए और कई महीनों तक वहीं रखा। इसके बाद वे मुंबई के विले पार्ले आए, एक किराए का मकान लिया और चार महीने तक वहां रहे। फिर उसे वापस गोवा ले गए। आरोपितों ने उसका कर्नाटक के एक स्कूल में दाखिला भी कराया और एक साल तक वहीं रखा। 2015 में वे मुंबई आए और तब से यहीं रह रहे हैं।
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