26/11 हमले में बरी फहीम अंसारी को नहीं मिलेगा पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट, निगरानी जारी
महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि फहीम अंसारी जिसे 26/11 के आतंकी हमले में बरी कर दिया गया था का पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट रद्द कर दिया गया है क्योंकि उस पर अभी भी निगरानी रखी जा रही है। अंसारी ने ऑटो रिक्शा चलाने के लिए प्रमाण पत्र मांगा था।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई उच्च न्यायालय को बताया है कि 26/11 के आतंकी हमले के मामले में बरी किए गए फहीम अंसारी का 'पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट' खारिज कर दिया गया है, क्योंकि उस पर अब भी नजर रखी जा रही है। अंसारी ने आटोरिक्शा चलाने के लिए यह क्लियरेंस प्रमाणपत्र मांगा था।
फहीम अंसारी की ओर से दायर याचिका पर मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की पीठ ने सवाल किया कि सरकार ने किस कानून के तहत अंसारी को प्रमाण पत्र देने से इनकार कर दिया, जबकि उसे आतंकवाद के आरोपों से बरी कर दिया गया है। इसके जवाब में सरकारी वकील मनखुवर देशमुख ने अदालत को बताया कि अंसारी पुलिस क्लीयरेंस प्रमाण पत्र प्रदान करने के लिए अगस्त 2014 में बनाए गए दिशानिर्देशों के अनुसार पात्र नहीं था।
फहीम अंसारी पर एजेंसियों की नजर
उसके विरुद्ध एक गोपनीय रिपोर्ट भी है जिसके अनुसार अंसारी पर अभी भी नजर रखी जा रही है। क्योंकि संदेह है कि वह एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन का सदस्य है। क्योंकि अंसारी की ओर से शुक्रवार को कोई वकील पेश नहीं हुआ। इसलिए अदालत ने मामले की अगली सुनवाई शनिवार को रखी है।
विशेष अदालत ने फहीम अंसारी को किया बरी
मई 2010 में, एक विशेष अदालत ने 26/11 मामले में एकमात्र पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब को दोषी ठहराया था, लेकिन सबूतों के अभाव में फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद (दोनों भारतीय) को बरी कर दिया था। दोनों पर 26 नवंबर 2008 को हुए नृशंस हमलों में सह-षड्यंत्रकारी होने तथा आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) को सहायता देने का आरोप था। इन हमलों में 166 लोग मारे गए थे और सैकड़ों अन्य घायल हुए थे।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, अंसारी और अहमद ने शहर के नक्शे तैयार किए थे और उन्हें पाकिस्तान में हमले के षड्यंत्रकारियों भेजा था। उनके बरी होने के फैसले को पहले मुंबई उच्च न्यायालय और फिर सर्वोच्च न्यायालय ने भी बरकरार रखा है।
अंसारी को उत्तर प्रदेश के रामपुर पीएसी कैंप विस्फोट कांड मामले में दोषी ठहराया जा चुका है, जिसमें उसे 10 साल कैद की सजा सुनाई गई थी। अंसारी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर 'पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट' मांगा था ताकि वह अपनी आजीविका के लिए ऑटोरिक्शा चला सके। उसकी याचिका के अनुसार, प्रमाण पत्र के लिए उसके आवेदन को इस आधार पर अस्वीकार कर दिया गया कि उस पर एक आतंकवादी संगठन का सदस्य होने का आरोप है। अंसारी ने इस निर्णय को ‘मनमाना, अवैध और भेदभावपूर्ण’ बताते हुए कहा था कि इससे उसकी आजीविका के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है।
नौकरी के अवसरों से वंचित नहीं किया जा सकता
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता कानूनी रूप से बरी होने के बाद लाभकारी रोजगार पाने का हकदार है। सिर्फ इसलिए कि उस पर 26/11 आतंकी हमले के मामले में मुकदमा चलाया गया था, उसे नौकरी के अवसरों से वंचित नहीं किया जा सकता। खासकर जब उसे सभी अदालतों ने बरी कर दिया है। याचिका के अनुसार, 2019 में जेल से रिहा होने के बाद, अंसारी ने मुंबई में एक प्रिंटिंग प्रेस में नौकरी हासिल की थी, जो कोविड-19 महामारी के दौरान बंद हो गई।
इसके बाद उसे मुंब्रा में एक प्रिंटिंग प्रेस में नौकरी मिल गई, लेकिन चूंकि इससे आय कम थी, इसलिए अंसारी ने तिपहिया ऑटोरिक्शा लाइसेंस के लिए आवेदन किया। इसके बाद उसने व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए ऑटोरिक्शा चलाने हेतु अनिवार्य 'पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट (पीसीसी)' के लिए आवेदन किया। जब उसे कोई जवाब नहीं मिला, तो अंसारी ने सूचना के अधिकार के तहत एक आवेदन दायर किया, जिसमें उसे बताया गया कि उसे प्रमाणपत्र जारी नहीं किया जा सकता, क्योंकि उस पर लश्कर-ए-तैयबा का सदस्य होने का आरोप है।
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