मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन का पहला फेज कब होगा शुरू? केंद्रीय मंत्री ने दी जानकारी
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट भारत की अर्थव्यवस्था को जापान की बुलेट ट्रेन की तरह ही बढ़ावा देगा। उन्होंने शिलफाटा और घनसोल के बीच 4.88 किमी लंबी टनल का काम पूरा होने पर यह बात कही। यह ट्रेन आनंद अहमदाबाद वडोदरा सूरत वापी और मुंबई को जोड़ेगी जिससे नया आर्थिक कॉरिडोर बनेगा।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत की पहली बुलेट ट्रेन के मार्ग निर्माण में आज एक महत्त्वपूर्ण प्रगति हासिल हुई है। आज इसके मार्ग में आनेवाली पांच किमी लंबी एक सुरंग की खुदाई का काम पूरा हो गया। इस अवसर पर रेलमंत्री अश्विनी वैष्णवी स्वयं उपस्थित थे।
नेशनल हाई स्पीड रेल कार्पोरेशन लिमिटेड(NHSRCL) द्वारा तैयार की जी रही मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना में मुंबई के निकट शीलफाटा से घनसोली को जोड़नेवाली 4.88 किमी. लंबी सुरंग की खुदाई का काम आज पूरा गया। यह काम रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव की उपस्थिति में शनिवार सुबह पूरा हुआ, जब सुरंग के घनसोली वाले सिरे को एक नियंत्रित विस्फोट करके खोला गया।
कितनी लंबी है सुरंग?
यह सुरंग बुलेट ट्रेन के मुंबई में बांद्रा-कुर्ला काम्प्लेक्स स्थित शुरुआती स्टेशन को ठाणे के शीलफाटा से जोड़नेवाले 21 किमी. के भूमिगत मार्ग का हिस्सा है। इस मार्ग का सात किमी हिस्सा ठाणे में समुद्री खाड़ी के नीचे से गुजर रहा है। इसकी खुदाई न्यू ऑस्ट्रियन टनल विधि (एनएटीएम) का उपयोग करके की गई थी।
12.6 मीटर चौड़ी खोदी गई इस सुरंग को 13.1 मीटर व्यास वाली एक ही ट्यूब के भीतर दोहरी पटरियों को समायोजित करने के लिए डिजाइन की गई है, जिससे दोनों दिशाओं में रेलगाड़ियां चल सकेंगी। वैष्णव ने कहा कि यह बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए एक बड़ी और ऐतिहासिक उपलब्धि है।
उन्होंने इस उपलब्धि को हासिल करने वाले अधिकारियों और श्रमिकों से हाथ मिलाकर उनका उत्साह बढ़ाया और काम में सफलता मिलने की बधाई दी। रेल मंत्री ने कहा कि सूरत-बिलिमोरा खंड पर हाई-स्पीड कॉरिडोर दिसंबर 2027 में शुरू होगा, जो 2028 में ठाणे और और 2029 में बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स को कवर करेगा। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि बुलेट ट्रेन उचित किराए पर मध्यम वर्ग के लिए उपयोगी परिवहन का माध्यम साबित होगी।
फडणवीस ने किया पोस्ट
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि यह उपलब्धि न केवल इंजीनियरिंग कौशल का प्रतीक है, बल्कि आने वाले समय में यह विश्वस्तरीय परियोजना दोनों राज्यों (महाराष्ट्र एवं गुजरात) के प्रमुख शहरों की अर्थव्यवस्था को भी नई गति प्रदान करेगी। समयबद्ध कार्यान्वयन की दिशा में यह मील का पत्थर एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
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