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    जेपी नड्डा ने कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन के निधन पर शोक जताया, कहा- उनके योगदान ने इतिहास की दिशा बदली

    By Jagran NewsEdited By: Abhinav Atrey
    Updated: Thu, 28 Sep 2023 03:08 PM (IST)

    देश में हरित क्रांति के जनक कहे जाने वाले महान कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन (MS Swaminathan Death) का गुरुवार (28 सितंबर) को निधन हो गया। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एमएस स्वामीनाथन के निधन पर शोक जताया है। जेपी नड्डा ने एक्स पर लिखा भारत की हरित क्रांति के जनक डॉ. एमएस स्वामीनाथन के निधन पर गहरा दुख हुआ।

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    महान कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन का 98 साल की उम्र में निधन (फोटो, एक्स)

    नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। देश में हरित क्रांति के जनक कहे जाने वाले महान कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन (MS Swaminathan Death) का गुरुवार (28 सितंबर) को निधन हो गया। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एमएस स्वामीनाथन के निधन पर शोक जताया है।

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    हरित क्रांति की वजह से देश के कई राज्यों में कृषि उत्पादों में भारी बढ़ोतरी हुई इसलिए उन्हें फादर ऑफ ग्रीन रिवॉल्यूशन भी कहा जाता है। जेपी नड्डा ने एक्स पर लिखा, "भारत की हरित क्रांति के जनक डॉ. एमएस स्वामीनाथन के निधन पर गहरा दुख हुआ। डॉ. स्वामीनाथन एक बहुआयामी व्यक्तित्व थे जिनके कृषि अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में अमूल्य योगदान ने इतिहास की दिशा बदल दी।"

    लाखों लोगों को भूख के चंगुल से बाहर निकाला- जेपी नड्डा

    नड्डा ने आगे लिखा, "उन्होंने भारत की कृषि क्षमताओं को आगे बढ़ाने और लाखों लोगों को भूख के चंगुल से बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे हमारे लोगों के जीवन में परिवर्तनकारी बदलाव आया। भारत की वैज्ञानिक प्रगति और नवाचार को आगे बढ़ाने की उनकी प्रतिबद्धता हमारे वैज्ञानिक समुदाय को प्रेरित करती रहेगी। उनके परिवार के सदस्यों और शुभचिंतकों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना। ओम शांति।"

    देश में धान की फसल को बढ़ावा देने में अहम भूमिका

    वैज्ञानिक स्वामीनाथन का निधन 98 साल की उम्र में लंबे समय से बीमार रहने के चलते हुआ। एम एस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन के सूत्रों ने बताया कि मशहूर कृषि वैज्ञानिक का काफी समय से उम्र संबंधी बीमारी का इलाज किया जा रहा था। स्वामीनाथन अपने पीछे तीन बेटियों को छोड़ गए हैं। स्वामीनाथन ने देश में धान की फसल को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने धान की ज्यादा उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने में बड़ा योगदान दिया। इस पहल के चलते पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों को काफी मदद मिली थी।

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