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    Bharat Ratna: स्वामीनाथन को 'भारत रत्न' सम्मान; बेटी सौम्या बेहद खुश, बोलीं- युवाओं को मिलेगा एक मजबूत संदेश...

    मशहूर कृषि वैज्ञानिक एवं देश में हरित क्रांति के जनक डॉ. एमएस स्वामीनाथन को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किए जाने के केंद्र सरकार के फैसले का डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने स्वागत किया। उन्होंने कहा कि उन्हें गर्व और खुशी है कि उनके पिता के काम को देश में सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मान्यता मिली है।

    By Agency Edited By: Anurag GuptaUpdated: Fri, 09 Feb 2024 05:04 PM (IST)
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    देश में हरित क्रांति के जनक डॉ. एमएस स्वामीनाथन (फाइल फोटो)

    पीटीआई, कन्नूर। मशहूर कृषि वैज्ञानिक एवं देश में हरित क्रांति के जनक डॉ. एमएस स्वामीनाथन को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किए जाने के केंद्र सरकार के फैसले का डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने स्वागत किया। बता दें कि डॉ. सौम्या, एमएस स्वामीनाथन की बेटी हैं और उन्होंने कहा कि पिता इससे खुश होते, लेकिन उन्होंने कभी पुरस्कारों के लिए काम नहीं किया।

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    बेटी सौम्या ने क्या कुछ कहा?

    डब्ल्यूएचओ की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक और पूर्व उप महानिदेशक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि उन्हें गर्व और खुशी है कि उनके पिता के काम को देश में सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मान्यता मिली है। साथ ही उन्होंने कहा,

    यह किसानों का प्यार ही है, जो उनके लिए बहुत मायने रखता है।

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    सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि केंद्र सरकार का यह फैसला उनके पिता के परिवार, दोस्तों, छात्रों और शुभचिंतकों को खुशी देने के अलावा युवाओं को एक बहुत मजबूत संदेश भी देगा कि आप विज्ञान और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल समाज की बेहतरी के लिए कर सकते हैं।

    उन्होंने कहा कि यह गर्व और संतुष्टि की बात है कि उनके पिता के जीवन भर के काम को भारत सरकार और प्रधानमंत्री ने मान्यता दी है। उन्होंने आगे कहा,

    मुझे यकीन है कि अगर यह खबर उनके जीवनकाल में आई होती, तो उन्हें भी खुशी होती, लेकिन वह ऐसे व्यक्ति नहीं थे, जो पुरस्कारों के लिए काम करते थे। 

    एमएस स्वामीनाथन के बारे में:

    स्वामीनाथन का पिछले साल 28 सितंबर को 98 साल की उम्र में निधन हो गया था। 1960 के दशक में देश अपने लोगों का भरण-पोषण करने के लिए अमेरिकी गेहूं पर निर्भर था। हालांकि, 1971 में जरूरत से अधिक खाद्यान्न का उत्पादन करने वाले राष्ट्र के रूप में देश तब्दील हो गया और इसका श्रेय स्वामीनाथन को जाता है। स्वामीनाथन को गेहूं के अलावा, धान और आलू की उपज बढ़ाने में उनके योगदान के लिए भी जाना जाता है।

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