MQ-9 Reaper: क्यों खास है अमेरिकी ड्रोन जिसे रूसी जेट ने मारी टक्कर, भारत भी खरीदने के लिए US से कर रहा सौदा
MQ-9 Reaper/Predator B अमेरिका का एमक्यू-9 रीपर ड्रोन रूस द्वारा काला सागर में गिराए जाने के बाद काफी चर्चा में है। इस ड्रोन की कई सारी खासियत होने के चलते भारत भी इसे खरीदने को तैयार है। आइए इसकी खासियतों के बारे में जानें।
नई दिल्ली, आनलाइल डेस्क। MQ-9 Reaper/Predator B रूस और अमेरिका के बीच हमेशा से तनातनी बनी रहती है। इस बीच बीते दिनों रूसी लड़ाकू विमान Su-27 द्वारा अमेरिका के एमक्यू-9 रीपर ड्रोन (MQ-9 Reaper Drone) को काला सागर में टक्कर मारकर गिराने की रिपोर्ट के बाद दोनों देशों के रिश्तों में और दरार आ गई है। हालांकि, अमेरिका के आरोपों को रूस ने सिरे से नकारा है और कहा है कि उसने कोई ड्रोन नहीं गिराया है। रूस ने कहा कि यह ड्रोन खुद अपनी कमियों के कारण क्रैश हुआ है। आखिर ये ड्रोन इतनी चर्चा में क्यों है और इसकी क्या खासियत है, आइए जानें।
MQ-9 Reaper क्यों चर्चा में है
रूस पर आरोप है कि उसने अपने फाइटर जेट द्वारा अमेरिका के एमक्यू-9 रीपर ड्रोन जिसे MQ-9B Predator भी कहा जाता है, उसे काला सागर में टक्कर मारकर गिराया है। घटना के बाद अमेरिका ने रूस के खिलाफ तल्ख तेवर दिखाए हैं। अमेरिका ने रूस के राजदूत अनातोली एंटोनोव को तलब कर लिया है। वहीं, रूस ने इसे बेबुनियाद आरोप बताया है और कहा कि वह यूएस से अच्छे रिश्ते चाहता है।
MQ-9 Reaper की क्या है खासियत
- एमक्यू-9 रीपर एक मानव रहित विमान यानी ड्रोन है, जिसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह 35 घंटे से अधिक समय तक 50,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है।
- MQ-9 Reaper की दूसरी सबसे बड़ी खासियत यह है कि हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल जैसे हथियारों से भी लैस किया जा सकता है।
- यह ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात होकर जमीन के साथ समुद्री लक्ष्य को निशाना बना सकता है।
- इसी ड्रोन की मदद से अमेरिका ने काबुल में छिपे अलकायदा आतंकी आयमान अल जवाहिरी को ढेर किया था।
- एमक्यू-9 रीपर सॉलिड कैमरों, सेंसर और रडार के साथ घंटों हवा में रहकर खुफिया जानकारी एकत्र कर सकता है।
- इसमें 66 फुट का विंगस्पैन और हनीवेल इंजन है, जो 3900 पाउंड ईंधन ले जा सकता है और 240 समुद्री मील की गति से यात्रा कर सकता है।
ड्रोन के क्या है फायदे
- अमेरिकी ड्रोन MQ-9 Reaper मानवयुक्त विमानों से कम खर्चीले होते हैं और ऑपरेटरों को इसे चलाना भी सुरक्षित होता है, क्योंकि इसमें पायलट की आवश्यकता नहीं है।
- दूसरे विमानों के विपरीत ड्रोन कई घंटों तक हवा में रहकर खुफिया जानकारी एकत्र कर सकते हैं।
- जनरल एटॉमिक्स के अनुसार, इन ड्रोन को संचालित करने के लिए केवल 3,500 डॉलर प्रति घंटे की लागत आती है। वहीं, दूसरे विमानों की लागत 8000 डॉलर प्रति घंटे की आती है।
- किसके पास है ये विमान, कितनी है कीमत
- बता दें कि MQ-9 रीपर का निर्माण अमेरिकी कंपनी ‘जनरल एटॉमिक्स’ द्वारा किया गया है। इसे नासा, यूएस डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी, यूके रॉयल एयर फोर्स, इटैलियन एयर फोर्स, फ्रेंच एयर फोर्स और स्पैनिश एयर फोर्स द्वारा भी खरीदा गया है। इस ड्रोन की कीमत 453 करोड़ 73 लाख से ज्यादा है।
क्यों खतरनाक है अमेरिकी ड्रोन
MQ-9 रीपर ड्रोन 1900 किमी तक कहीं भी अपने लक्ष्य का सटीक निशाना लगा सकता है। यह पलक झपकते ही दुश्मन का खात्मा कर सकता है। यह हवा से हवा में मार करने वाली हथियार क्षमता से युक्त है, जो दुश्मनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। सेल्फ प्रोटेक्ट पॉड से युक्त होने के चलते यह बचने के लिए जवाबी हमले भी कर सकता है।
भारत भी खरीदने की तैयारी में...
भारत MQ-9 रीपर ड्रोन (MQ-9 Reaper/Predator B) को खरीदने की तैयारी में है। भारतीय सेना ने अमेरिकी रक्षा कंपनी जनरल एटॉमिक्ससे तीन अरब डालर में 30 ड्रोन खरीदने का प्रताव रखा है। इसको लेकर एनएसए अजीत डोभाल ने भी अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से वार्ता की थी। बता दें कि इस ड्रोन के भारत आने से चीन की नींद उड़ सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसे LAC पर ऊंचाई वालों क्षेत्रों पर तैनात किया जा सकता है।