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    20 दिन की बेटी को गोद में लेकर दिया MPSC का इंटरव्यू, मैहर की वर्षा पटेल ने DSP बनकर रचा इतिहास

    Updated: Sun, 14 Sep 2025 02:14 AM (IST)

    मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग की चयन सूची में सतना और मैहर के होनहारों ने चमक बिखेरी है। मैहर की वर्षा पटेल ने 20 दिन की बेटी को गोद में लेकर इंटरव्यू दिया और DSP के पद पर चयनित होकर प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त किया। रामनगर की वर्षा का यह तीसरा प्रयास था। उनके पति संजय कुमार ने नौकरी छोड़कर पत्नी के सपनों को पूरा करने में सहयोग दिया।

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    20 दिन की बेटी संग इंटरव्यू देकर वर्षा पटेल बनीं डीएसपी (फोटो सोर्स- जेएनएन)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्यप्रदेश लोक सोवा आयोग (MPSC 2024) की चयन सूची ने इस बार सतना और मैहर के होनहारों की चमक बढ़ा दी है। लेकिन इनमें सबसे प्रेरणादायक कहानी है मैहर जिले की वर्षा पटेल की, जिन्होंने गोद में 20 दिन की मासूम बेटी को लेकर इंटरव्यू दिया और सीधे DSP के पद पर चयनित होकर महिला वर्ग में प्रदेश में पहली रैंक हासिल की।

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    उनकी यह उपलब्धि सिर्फ जिले ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के लिए मिसाल बन गई है। रामनगर क्षेत्र के बाबूपुर गांव की रहने वाली वर्षा पटेल की परीक्षा यात्रा आसान नहीं रही। यह उनका तीसरा प्रयास था। जब इंटरव्यू का कॉल आया उस वक्त उनकी बेटी श्रीजा सिर्फ 20 दिन की थी।

    कैसे मिली सफलता?

    लेकिन मातृत्व की जिम्मेदारी और प्रशासनिक सेवा का सपना दोनों को साथ लेकर वर्षा इंटरव्यू में पहुंची। बेटी को गोद में लेकर उन्होंने हर सवाल का आत्मविश्वास से जवाब दिया। बाहर निकलते ही उन्हें महसूस हुआ कि अब सफलता तय है और नतीजों ने यह साबित भी कर दिया।

    वर्षा ने अपनी पढ़ाई दमोह से की और BSc बायो से उच्च शिक्षा हासिल की। तैयारी के दौरान उन्होंने मात्र 6 महीने इंदौर से कोचिंग ली, बाकी मेहनत खुद पर भरोसा करके की। इस पूरे संघर्ष में उनके पति संजय कुमार सबसे बड़ा सहारा बने। इंजीनियर होने के बावजूद उन्होंने पत्नी के सपनों को पूरा करने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी और मैहर में रहकर व्यवसाय शुरू किया।

    आशीष ने भी बढ़ाया मान

    वर्षा मानती हैं कि उनकी सफलता में पति का त्याग और सहयोग सबसे अहम है। सिर्फ वर्षा ही नहीं, सतना जिले के रैगांव क्षेत्र के इटौरा गांव के आशीष पाण्डेय का चयन ट्रेजरी ऑफिसर के पद पर हुआ है और उन्होंने भी अपने जिले का मान बढ़ाया है।

    उनके पिता गुजरात में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते हैं। आशीष ने तीसरे प्रयास में सफलता हासिल की है। साधारण परिवार से निकलकर यह मुकाम हासिल करने वाले आशीष युवाओं के लिए मिसाल बन गए हैं।

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