ठंड-बारिश में छोड़ा, पत्थरों से दबाया... सरकारी नौकरी बचाने के लिए शिक्षक ने नवजात को जंगल में छोड़ा
छिंदवाड़ा में एक शिक्षक ने अपनी सरकारी नौकरी बचाने के लिए अपने छह दिन के नवजात को जंगल में पत्थरों के बीच दबा दिया। इस साजिश में उसकी पत्नी भी शामिल थी। उनके पहले से तीन बच्चे हैं। दंपति ने चौथी बार गर्भवती होने की जानकारी छिपाई और घर में ही प्रसव कराया। रातभर ठंड में नवजात जंगल में पड़ा रहा। ग्रामीणों ने उसे देखा और पुलिस को सूचना दी।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में एक शिक्षक ने अपनी सरकारी नौकरी बचाने के लिए अपने छह दिन के नवजात को जंगल में पत्थरों के बीच दबा दिया। इस घिनौनी साजिश में उसकी पत्नी भी शामिल थी। आरोपित बबलू डांडोलिया ग्राम सिधौली का निवासी है। वह अमरवाड़ा में प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक है।
उनके पहले से तीन संतानें हैं, जिनकी उम्र आठ, छह और चार वर्ष है। कहा जा रहा है कि दंपती ने तीसरी संतान को लालन-पालन के लिए किसी और को दे रखा है। बबलू और उसकी पत्नी ने चौथी बार गर्भवती होने की जानकारी छुपाई और 23 सितंबर को घर में ही प्रसव कराया।
रातभर ठंड और वर्षा में पड़ा रहा नवजात
स्वास्थ्य बिगड़ने पर पत्नी को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया। उपचार के बाद दंपती ने 27 सितंबर को नवजात को जंगल में छोड़ दिया। नवजात रातभर ठंड और वर्षा में पड़ा रहा।
ग्रामीणों ने नवजात को देखा और पुलिस को सूचना दी। नवजात के शरीर में चीटियां व कीड़े लगने और रातभर ठंड में रहने से संक्रमण का खतरा था, इसलिए जिला अस्पताल रेफर किया गया है। पुलिस ने हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कर दंपती को गिरफ्तार किया और न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया है।
बता दें कि मध्य प्रदेश में दो से अधिक संतान होने पर सरकारी नौकरी से बर्खास्तगी का प्रविधान है। अधिकारियों का कहना है कि आरोपित की तीसरी संतान होने की जानकारी नहीं है, शिकायत मिली तो कार्रवाई करेंगे।
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