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नसबंदी पर घिरी कमल नाथ सरकार, बवाल के बाद सकुर्लर लिया वापस

मध्य प्रदेश सरकार ने आदेश दिया है कि जिन स्वास्थ्य कर्मचारियों ने किसी भी पुरुष की नसबंदी नहीं कराई है उन्हें ना तो सैलरी मिलेगी और उन्हें सेवानिवृत्ति दे दी जाएगी।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Fri, 21 Feb 2020 11:41 AM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2020 09:22 PM (IST)
नसबंदी पर घिरी कमल नाथ सरकार, बवाल के बाद सकुर्लर लिया वापस
नसबंदी पर घिरी कमल नाथ सरकार, बवाल के बाद सकुर्लर लिया वापस

भोपाल, राज्‍य ब्‍यूरो। मध्य प्रदेश में पुरुष नसबंदी का लक्ष्य पूरा नहीं होने पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति और दूसरी कड़ी कार्रवाई का आदेश सरकार को वापस लेना पड़ा है। विवाद बढ़ने पर शुक्रवार दोपहर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की प्रदेश संचालक छवि भारद्वाज को हटा दिया गया, लेकिन तब तक भाजपा नेता सरकार को कठघरे में खड़ा कर चुके थे। मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री तुलसीराम सिलावट का कहना है कि स्वास्थ्य मंत्री, नसबंदी के लक्ष्य संबंधी आदेश को निरस्त कर दिया गया है। किसी भी कर्मचारी को परेशान नहीं होने देंगे, लेकिन नसबंदी कार्यक्रम भी महत्वपूर्ण है, जिसके लिए सभी के साथ मिलकर काम करेंगे।

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राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की राज्य इकाई ने गत 11 फरवरी को आदेश जारी किया था कि पुरुष नसबंदी का लक्ष्य पूरा नहीं कराने वाले कर्मचारियों का वेतन रोका जाएगा और अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाएगी। आदेश में 20 फरवरी तक काम में सुधार लाने की हिदायत दी गई थी। इससे मल्टीपरपस हेल्थ वर्कर (एमपीडब्ल्यू) और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं में हड़कंप मच गया। स्वास्थ्यकर्मी मंत्री और अधिकारियों से मिले थे। सकारात्मक रुख नहीं दिखने पर वे मुख्यमंत्री से मुलाकात करने वाले थे, लेकिन तब तक मामला सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और राजनीति गरमा गई।

नसबंदी कराने का दिया गया लक्ष्‍य

आदेश में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को एक साल में 5 से 10 पात्र पुरुषों की नसबंदी कराने का लक्ष्य दिया गया था। ऐसा नहीं करने पर तब तक वेतन रोकने की बात कही गई थी, जब तक कि वे एक पात्र पुरुष की नसबंदी का लक्ष्य पूरा न कर लें।

ऐसे गरमाई राजनीति

शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को ट्वीट किया कि मध्य प्रदेश में अघोषित आपातकाल है। क्या यह कांग्रेस का इमरजेंसी पार्ट-2 है? एमपीडब्ल्यू के प्रयासों में कमी हो तो सरकार कार्रवाई करे, लेकिन लक्ष्य पूरे नहीं होने पर वेतन रोकना और सेवानिवृत्ति देना तानाशाही है। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा विधायक नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि इस तरह के लक्ष्य देना गलत है। विवाद बढ़ा तो कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने सफाई दी कि पुरुष नसबंदी के लिए कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं है। ऐसे में कार्रवाई का प्रश्न ही नहीं उठता।

विधायक के बिगड़े बोल

भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष और विधायक रामेश्र्वर शर्मा ने विवादित बयान दे दिया। कहा, कमलनाथ सरकार नसबंदी सभी धर्मों के लोगों की करे, तब तो ठीक है। ऐसा न हो कि एक समुदाय दो बच्चों पर टिका रहे और दूसरा पांच से 25 पर पहुंच जाए।

11 माह में सिर्फ 2900 पुरुष नसबंदी

वर्ष 2019-20 में प्रदेश में 5 लाख नसबंदी का लक्ष्य है। इनमें 3 लाख 37 हजार नसबंदी हुई है। पुरुष नसबंदी 2900 है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी, कर्मचारी बीते 11 माह में केवल 2900 पुरुष नसबंदी का लक्ष्य हासिल कर सके हैं। अब एक महीना बचा हुआ है।

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