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    MP को डबल इंजन का नहीं मिल पाया लाभ, 44 हजार करोड़ में से मिले केवल आठ हजार करोड़

    Updated: Tue, 21 Oct 2025 10:14 PM (IST)

    मध्य प्रदेश को केंद्र से मिलने वाले केंद्रांश में भारी कमी आई है। राज्य को विभिन्न योजनाओं के लिए 44,355 करोड़ रुपये मिलने थे, लेकिन केवल 8,027 करोड़ रुपये ही प्राप्त हुए हैं। जल जीवन मिशन जैसी महत्वपूर्ण योजनाएं भी प्रभावित हो रही हैं। कांग्रेस ने सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने और भ्रष्टाचार की जांच कराने की मांग की है।

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    केंद्र के बजट की वजह से एमपी में रुके विकास कार्य। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश को डबल इंजन यानी केंद्र और राज्य में एक ही दल की सरकार होने का लाभ मिलता रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कई योजनाओं का शुभारंभ मध्य प्रदेश की धरती से ही किया। बजट में भी प्रदेश के प्रति उदारता दिखी लेकिन फिलहाल इसका लाभ पिछले कुछ दिनों से नहीं मिल रहा है।

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    विभिन्न योजनाओं में प्रदेश को केंद्रांश के रूप में 44,355 करोड़ रुपये मिलने हैं लेकिन आधा वित्तीय वर्ष बीतने के बाद भी केवल 8,027 करोड़ रुपये ही मिले। दोनों सरकार के प्राथमिकता वाले जल जीवन मिशन में 8,561 करोड़ रुपये मिलने थे, जो नहीं मिले। राज्य सरकार को अपने बजट से ही राशि का इंतजाम करना पड़ रहा है, जिसका असर बजट प्रबंधन पर भी पड़ रहा है।

    रिपोर्ट में क्या चीज आई सामने?

    मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव ने पिछले दिनों बजट की छमाही समीक्षा की थी। इसमें राजस्व की स्थिति को लेकर विभागों से रिपोर्ट ली गई तो जल जीवन मिशन के लिए राशि नहीं मिलने की बात सामने आई। साथ ही अन्य योजनाओं में केंद्रांश कम या फिर बिलकुल नहीं मिलना बताया गया।

    वर्ष 2025-26 में केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं में 68,619 करोड़ रुपये का प्रविधान रखा गया है। इसमें राज्यांश 24,263 और केंद्रांश 44,355 करोड़ है। एक अप्रैल से सात अक्टूबर 2025 के बीच केवल 8,027 करोड़ रुपये केंद्रांश मिला यानी 18.09 प्रतिशत। इससे काम भी प्रभावित हो रहे हैं।

    समग्र शिक्षा अभियान में 3,321 करोड़ रुपये में से 1,460 करोड़, सड़क, पुल-पुलियों के लिए केंद्रीय सड़क निधि से 1,150 करोड़ में से 858, इंदिरा गांधी विधवा पेंशन में 400 करोड के विरुद्ध 92.28, इंदिरा गांधी वृद्धावस्था पेंशन में 1,152 करोड़ में से 197, मनरेगा में 3,160 में से 533, प्रधानमंत्री आवास में 2,640 में से 1,987, ग्रामीण आजीविका मिशन में 480 में से 80, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में 2,652 करोड़ में से 1,035 करोड़ रुपये ही मिले।

    दूसरी ओर निर्मल भारत अभियान, प्रधानमंत्री जन मन आवास और सड़क, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई, प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम, अनुसूचित जाति कल्याण की पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्रि, ओबीसी छात्रवृद्धि, आयुष मिशन, केन बेतवा लिंक परियोजना, सार्वजनिक वितरण प्रणाली में परिवहन कमीशन क्षतिपूर्ति, ग्राम स्वराज अभियान सहित विभिन्न योजनाओं में राशि ही नहीं दी गई।

    वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि विभाग की वेबसाइट पर जो आंकड़े प्रदर्शित हो रहे हैं, उसमें कुछ मद शामिल नहीं हैं। भारत सरकार कुछ योजनाओं से जुड़े खातों में सीधे राशि देती है।

    द्वितीय अनुपूरक बजट में कई पांबदियां

    उधर, सरकार ने नवंबर-दिसंबर में प्रस्तावित विधानसभा के शीतकालीन सत्र में द्वितीय अनुपूरक बजट प्रस्तुत करने की तैयारी शुरू कर दी है। इसमें विभागों के ऊपर कई पाबंदियां लगाई हैं। वे कोई भी नया वाहन खरीदने के लिए प्रस्ताव नहीं दे सकेंगे। ऐसे प्रस्ताव ही विभाग लेगा, जिनके लिए वित्त विभाग ने पहले सहमति दे दी हो।
    भारत सरकार या अन्य एजेंसी से वित्तीय सहायता स्वीकृत हो लेकिन अतिरिक्त संसाधन की व्यवस्था प्रचलित योजनाओं में उपलब्ध राशि में से कटौती कर बचत राशि से नहीं हो पाएगी या फिर विशेष पूंजीगत सहायता योजना में भारत सरकार द्वारा स्वीकृति प्राप्त कार्यों में अतिरिक्त बजट की आवश्यकता हो।

    भारत सरकार से राशि प्राप्त करने हो ठोस पहल : पटवारी

    उधर, प्रदेश की वित्तीय स्थिति को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव को पत्र लिखकर कहा कि जब डबल इंजन की सरकार है तो फिर केंद्रांश क्यों नहीं मिल रहा है। केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश को योजनाओं के लिए निर्धारित 44,355 करोड़ रुपये से केवल 8,027 करोड़ रुपये की जारी किए हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना, जल जीवन मिशन, पीएम ई-बस योजना, उपस्वास्थ्य केंद्र, नए मेडिकल कालेज, केन-बेतवा परियोजना तथा नगरीय विकास से जुड़ी अन्य योजनाएं भारत सरकार से राशि नहीं मिलने के कारण प्रभावित हो रही हैं। जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते राशि रोकने की बात सामने आई है।

    उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि भारत सरकार से विभिन्न योजनाओं की लंबित राशि जारी करवाने की ठोस पहल की जाए। भ्रष्टाचार के आरोपों की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो।

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