मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह के बेटे को मिली बड़ी जिम्मेदारी, जयवर्धन सिंह बने जिला अध्यक्ष
राघौगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह को गुना जिलाध्यक्ष की कमान सौंपी गई है। इससे उनके समर्थक केवल उत्साहित हैं बल्कि पार्टी के इस कदम को कांग्रेस में जान फूंकने वाला बताया जा रहा है। खास बात यह कि 14 साल पहले उन्होंने जनता का भरोसा जीता जिसके बाद राजनीतिक सफर की शुरुआत हुई थी।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस ने शनिवार को जिलाध्यक्षों की सूची जारी की। इसमें राघौगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह को गुना जिलाध्यक्ष की कमान सौंपी गई है। इससे उनके समर्थकों में उत्साह का माहौल है। साथ ही पार्टी के इस कदम को कांग्रेस में जान फूंकने वाला बताया जा रहा है।
खास बात यह कि 14 साल पहले उन्होंने जनता का भरोसा जीता, जिसके बाद राजनीतिक सफर की शुरुआत हुई थी। इस तरह वे जानते हैं कि जनता से जुड़ाव के बिना संगठन मजबूत नहीं हो सकता, जिसकी ओर समय-समय पर जयवर्धन कांग्रेसजनों को इशारा भी करते रहे हैं।
दो महीने पहले लिया गया था फीडबैक
दरअसल, कांग्रेस जिलाध्यक्ष चुनने से पहले पार्टी ने लगभग दो माह पहले जिले में ऑब्जर्वर भेजे थे। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से न केवल मुलाकात की थी, बल्कि रायशुमारी कर फीडबैक भी लिया था। गुना जिले में भी ऑब्जर्वर हर विधानसभा क्षेत्र में पहुंचे थे और रायशुमारी की थी।
शनिवार को की गई घोषणा
इसी क्रम में शनिवार को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा जिलाध्यक्षों की घोषणा कर दी गई। इसमें गुना जिलाध्यक्ष की कमान पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह को सौंपी गई है। इससे कांग्रेसजन उत्साहित हैं, क्योंकि जयवर्धन (जेबी) की स्वीकार्यता पार्टी में सभी के बीच है।
जीतू पटवारी ने दी बधाई
वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी का डैमेज कंट्रोल के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (एक्स) पर पोस्ट किया है। उन्होंने लिखा कि कांग्रेस परिवार के जांबाज साथियों, अब हमें मिलकर संगठन सृजन अभियान के अगले पड़ाव की ओर कदम बढ़ाना है! कांग्रेस के विचार और संस्कार को जन-जन तक, पंचायतों तक लेकर जाना है!
जयवर्धन सिंह का इस तरह हुआ राजनीति में आगमन
जयवर्धन सिंह 14 साल पहले अपनी पढ़ाई पूरी कर भारत वापस लौटे, तो उन्होंने 2011 में पिता दिग्विजय सिंह के समक्ष राजनीति में आने की मंशा जताई, लेकिन पिता नहीं चाहते थे कि वे राजनीति में आएं। इस पर नाखुश बेटे जयवर्धन ने राजनीति में न केवल अच्छा, बल्कि सफल होने की बात कही, तो पिता ने शर्त रखी कि पहले राघौगढ़ की जनता के साथ सात दिन व्यतीत करें, हर परिवार से मिलकर उनकी बात सुनें। यदि क्षेत्र की जनता ने अपना लिया, तो राजनीति में आ सकते हो। इसके बाद जयवर्धन ने पदयात्रा शुरू की क्षेत्र की जनता का विश्वास जीता, जिसके बाद ही उनका राजनीति का सफर शुरू हुआ था।
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