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    MP News: शराब की लत से पाई मुक्ति तो गांव में आई समृद्धि, जम्बूपानी और चोंडी की है गजब कहानी

    Updated: Wed, 19 Feb 2025 06:04 PM (IST)

    मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में एक ऐसा गांव है जहां शराब की एक बूंद नहीं मिलेगी। इस गांव के लोगों ने कसम खाई है कि वह शराब का सेवन नहीं करेंगे। इसके लिए पंचायत की तरफ से फरमान भी है कि अगर कोई शराब का सेवन करता दिख गया तो उसे जुर्माना देना पड़ेगा। शराब छोड़ने के बाद लोगों के जीवन स्तर में सुधार आया है।

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    बीते छह माह से पूरा गांव शराब मुक्त है। इससे अब गांव में विवाद भी नहीं होते।

    संदीप परोहा, बुरहानपुर। मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के आदिवासियों ने वह कर दिखाया है, जो लाख प्रयासों के बाद जिम्मेदार भी नहीं कर सके थे। यहां शराब को ग्रामीणों ने दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ ही समाज और पंचायत के दंड के फरमान के बाद हाथ न लगाने का संकल्प लिया है। जब शराब की लत छूटी तो वे अपनी आजीविका को लेकर जागरूक हुए और अजवायन की खेती के माध्यम से अपने जीवन स्तर को सुधार रहे हैं। इससे गांव भी समृद्ध हो रहा है।

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    जिला मुख्यालय से करीब पचास किलोमीटर दूर खकनार क्षेत्र की ऊंची पहाड़ी पर बसे जम्बूपानी गांव के सरपंच लाल सिंह पटेल का कहना है कि गांव में अवैध शराब बनाने और बेचने पर 21 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। शराब पीने पर भी पांच हजार रुपये का अर्थदंड लगाया गया है। यह निर्णय पंचायत की बैठक में लिया गया है। 

    • इस गांव की कुल आबादी 3,500 के करीब है।
    • बीते छह माह से पूरा गांव शराब मुक्त है। इससे अब गांव में विवाद भी नहीं होते।
    • नया नियम लागू होने के बाद गांव में रखी सैकड़ों लीटर अवैध देसी शराब को सड़कों पर बहा दिया गया था।

    पंचायत के इस फैसले का शाहपुरा थाना प्रभारी अखिलेश मिश्रा और गांव की महिलाओं ने भी स्वागत किया है। इसी तरह मालवीर पंचायत के वन ग्राम नई चोंडी में युवाओं ने गांव के शराब मुक्त करने का निर्णय लिया है। यहां शराब बेचने पर 11 हजार जुर्माने का प्रावधान किया गया है और सूचना देने वाले को दो हजार रुपये का नकद इनाम दिया जा रहा है। करीब एक माह से 170 मकानों वाले इस बंजारा समाज के गांव में शराबबंदी है।

    कम लागत में अब कर रहे अजवायन की खेती

    जम्बूपानी और चोंडी गांव के आदिवासी परिवारों ने पीढ़ियों से चली आ रही कु-परंपरा शराब के सेवन को न केवल पूरी तरह त्याग दिया है, बल्कि अब वे कम लागत में अजवायन की खेती कर हर साल लाखों रुपये कमा रहे हैं। इन दोनों गांवों में कुछ माह पहले तक पुरुषों के साथ महिलाओं का देसी शराब पीना आम बात थी। समाज और पंचायत के लोगों द्वारा शराब पीने वालों पर आर्थिक दंड लगाए जाने का असर हुआ है। 

    जम्बूपानी गांव के किसान शौकत अकबर अली बताते हैं कि शराब की लत को छोड़ने के बाद उन्होंने अपना ध्यान अजवाइन की खेती पर केंद्रित किया है। चूंकि यह गांव ऊंची पहाड़ी पर बसा है, इसलिए यहां का मौसम ठंडा और अजवायन की खेती के लिए उपयुक्त रहता है। जम्बूपानी सहित आसपास के पांच गांवों के लोग अब इसकी खेती कर हर साल लाखों रुपये कमा रहे हैं।

    सुधरा स्वास्थ्य और आर्थिक रूप से हुए संपन्न

    गांव में एक एकड़ खेत में फसल लगाने पर चार से पांच हजार रुपये खर्च आता है। इससे उत्पादित होने वाली अजवायन एक लाख रुपये से अधिक में बिकती है। इसके अलावा किसान ज्यादा कमाई वाली अन्य फसलें भी उगा रहे हैं। इससे उनका स्वास्थ्य तो बेहतर हुआ ही है, आर्थिक रूप से भी गांव संपन्न हो रहा है। पूरे निमाड़ क्षेत्र का यह इकलौता गांव है जहां अजवायन की खेती का नवाचार किया गया है।

    उप संचालक कृषि एमएस देवके का कहना है कि जम्बूपानी दूसरे गांवों के किसानों के लिए अब उदाहरण बन गया है। इन गांवों में अजवायन की खेती का सुझाव उनके विभाग ने ही दिया था। साथ ही किसानों को इसकी अच्छी किस्म का बीज भी उपलब्ध कराया गया था। किसानों को कम लागत में अच्छी आय वाली खेती दिखानी होती है तो वे जम्बूपानी क्षेत्र का ही भ्रमण कराते हैं।

    बुरहानपुर के कलेक्टर हर्ष सिंह कहते हैं, "जम्बूपानी और आसपास के गांवों की यह अच्छी पहल है। यह अन्य गांवों के लिए भी अनुकरणीय है। गांव ने स्वयं शराबबंदी का निर्णय लिया है तो इसका बेहतर तरीके से पालन सुनिश्चित हो सकेगा।

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