Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कब शुरू होगी मानसून की वापसी? IMD ने बता दी तारीख, बाढ़-बारिश से मिलेगी राहत

    Updated: Fri, 12 Sep 2025 08:30 PM (IST)

    मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार दक्षिण-पश्चिम मानसून 15 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत से वापस लौटने की संभावना है। इस वर्ष मानसून ने सामान्य तिथि से पहले ही पूरे देश को कवर कर लिया। इस मानसून सीजन में अब तक सामान्य से सात प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। मानसून भारत के कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है और देश के सकल घरेलू उत्पाद में योगदान देता है।

    Hero Image
    15 सितंबर तक मानसून की वापसी संभव मौसम विभाग का पूर्वानुमान (फाइल)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इस बार मानसून समय से पहले आया था, लेकिन यह समय पर वापसी करेगा। मौसम विज्ञान विभाग (आइएमडी) ने शुक्रवार को बताया कि दक्षिण-पश्चिम मानसून 15 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत से वापस लौटने की संभावना है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मानसून आमतौर पर एक जून तक केरल में प्रवेश करता है और आठ जुलाई तक पूरे देश को कवर कर लेता है। यह 17 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत से वापसी करना शुरू करता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह से वापस चला जाता है।

    15 सितंबर से मानसून की वापसी संभव

    आइएमडी ने एक बयान में कहा, 15 सितंबर के आसपास पश्चिमी राजस्थान के कुछ हिस्सों से दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी के लिए परिस्थितियां अनुकूल होती जा रही हैं। इस वर्ष मानसून ने सामान्य तिथि आठ जुलाई से नौ दिन पहले ही पूरे देश को कवर कर लिया। 2020 के बाद से इस बार मानसून ने सबसे जल्दी पूरे देश में पहुंच गया। यह 24 मई को केरल पहुंचा था। 2009 के बाद से मानसून सबसे जल्दी भारतीय मुख्य भूमि पर पहुंचा। 2009 में मानसून 23 मई को केरल पहुंचा था।

    इस मानसून सीजन में अब तक 836.2 मिमी बारिश

    देश में इस मानसून सीजन में अब तक 836.2 मिमी बारिश हुई है। यह सामान्य बारिश 778.6 मिमी से सात प्रतिशत अधिक है। मानसून भारत के कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है। भारत की 42 प्रतिशत आबादी आजीविका के लिए मानसून पर निर्भर है। यह देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी ) में 18.2 प्रतिशत का योगदान देता है। मानसून पीने के पानी और बिजली उत्पादन के लिए आवश्यक जलाशयों को फिर से भरने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

    उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य से 34 प्रतिशत अधिक वर्षा

    उत्तर-पश्चिम भारत में 720.4 मिमी बारिश हुई है, जो सामान्य 538.1 मिमी बारिश से 34 प्रतिशत अधिक है। पंजाब को दशकों में सबसे विनाशकारी बाढ़ का सामना करना पड़ा। नदियां उफान पर थीं और नहरें टूट गईं, जिससे हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि जलमग्न हो गई और लाखों लोग विस्थापित हो गए।

    हिमालयी राज्यों में बादल फटने और बाढ़ से भारी तबाही

    हिमालयी राज्यों में बादल फटने और बाढ़ से भूस्खलन हुआ और व्यापक क्षति हुई। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में पुल और सड़कें बह गईं, जबकि जम्मू-कश्मीर में बार-बार बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएं हुईं।

    आइएमडी के अनुसार, सक्रिय मानसून के कारण अधिक वर्षा हुई, जिसे लगातार आने वाले पश्चिमी विक्षोभों से समर्थन मिला।मध्य भारत में अब तक 978.3 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो सामान्य 882 मिमी से 11 प्रतिशत अधिक है, जबकि दक्षिणी प्रायद्वीप में सामान्य 611 मिमी से सात प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई है। पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में 949.6 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो सामान्य 1192.6 मिमी से 20 प्रतिशत कम है।

    (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

    यह भी पढ़ें- इस बार समय से पहले दस्तक देगी ठंड, बार-बार क्यों बदल रहा मौसम का मिजाज? पढ़ें पूरी रिपोर्ट