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Mohan Bhagwat on Minorities: 'अल्पसंख्यकों को ना संघ से खतरा और ना हिंदुओं से' नागपुर में बोले मोहन भागवत

Mohan Bhagwat on Minorities आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने नागपुर में कहा कि संघ को लेकर कुछ लोगों को डराया-धमकाया जा रहा है। लोगों से कहा जा रहा है कि संघ से उन्हें खतरा है लेकिन यह हमारा स्वभाव नहीं है।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 05 Oct 2022 01:55 PM (IST)Updated: Wed, 05 Oct 2022 01:55 PM (IST)
Mohan Bhagwat on Minorities: 'अल्पसंख्यकों को ना संघ से खतरा और ना हिंदुओं से' नागपुर में बोले मोहन भागवत
मोहन भागवत बोले- अल्पसंख्यकों को संघ से खतरा नहीं

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। विजयादशमी के मौके पर नागपुर में आयोजित आरएसएस के कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कई बातें कहीं। भागवत ने संघ पर सवाल उठाने वाले लोगों को भी जवाब दिया।

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'संघ के खिलाफ प्रचार का प्रभाव हुआ कम'

भागवत ने विरोधियों को जवाब देते हुए कहा कि संघ के खिलाफ ईर्ष्या और स्वार्थ के आधार पर चल रहे प्रचार का असर अब खत्म हो गया है। क्योंकि संघ की समाज में पहुंच अधिक हो गई है। इससे संघ की शक्ति में भी इजाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि संघ समाज को एक संगठित ताकत, हिंदू संगठन के रूप में विकसित करने का काम करता है। हम उन सभी को संगठित करते हैं जो हिंदू धर्म, संस्कृति, समाज और हिंदू राष्ट्र के विकास की रक्षा के इस विचार को स्वीकार करते हैं।

'अल्पसंख्यकों को संघ से खतरा नहीं'

भागवत ने आगे कहा, 'कुछ लोगों को डरा-धमका कर कहा जा रहा है कि उन्हें हमारे या संगठित हिंदुओं के कारण खतरा है। यह न तो संघ का स्वभाव है और न ही हिंदुओं का। संघ भाईचारे, मित्रता और शांति के पक्ष खड़ा रहता है।

'हर जगह हिंदू राष्ट्र की अवधारणा की चर्चा'

उन्होंने कहा कि हिंदू राष्ट्र की अवधारणा की चर्चा हर तरफ हो रही है। इसको लेकर कई सहमत भी हैं, लेकिन 'हिंदू' शब्द के विरोध में हैं। वे लोग दूसरे शब्दों का उपयोग करना पसंद करते हैं। हमें इसमें कोई आपत्ति नहीं है। अवधारणा की स्पष्टता के लिए हम अपने लिए हिंदू शब्द पर जोर देते रहेंगे।

तथाकथित अल्पसंख्यकों से कुछ विशेष लोग हमसे मुलाकात कर रहे हैं, संघ के पदाधिकारियों के साथ विचार-विमर्श हो रहा है और यह जारी रहेगा। यह नया नहीं है। इसकी शुरुआत श्री गुरुजी के समय में ही हुई थी। हमें भारत को समझना चाहिए, उसका सम्मान करना चाहिए। हमें भारत का होना चाहिए। संघ का विजन भी राष्ट्रीय एकता और सद्भाव है। इसमें संघ का कोई दूसरा इरादा या निजी स्वार्थ नहीं है।

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