India China Deal: ट्रंप टैरिफ विवाद के बाद भारत-चीन में होगी बड़ी डील? PM मोदी-चिनफिंग की मुलाकात पर दुनिया की नजर
पीएम नरेंद्र मोदी और शी चिनफिंग की आगामी बैठक भारत-चीन संबंधों के लिए महत्वपूर्ण है। 2020 से जारी तनाव के बाद यह मुलाकात रिश्तों को सामान्य बनाने की दिशा में अहम हो सकती है। सीधी उड़ानें शुरू करने दुर्लभ धातुओं की आपूर्ति बहाल करने और व्यापार घाटा कम करने पर घोषणाएं संभव हैं।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। पीएम नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच होने वाली आगामी बैठक भारत व चीन के द्विपक्षीय संबंधों के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण होने वाली है। अक्टूबर, 2024 के बाद इन दोनों नेताओं के बीच यह दूसरी बैठक होगी। इस दौरान द्विपक्षीय रिश्तों में वर्ष 2020 से जारी तनाव काफी कम हो चुका है। दोनों नेताओं की आगामी बैठक के बाद द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में कुछ अहम घोषणाएं किये जाएंगे।
इसमें भारत चीन के बीच सीधी उड़ान की शुरुआत करना, भारत को चीन से दुलर्भ धातुओं की आपूर्ति को फिर से बहाल करने के साथ ही कारोबारी घाटे को कम करने के लिए कुछ उपायों का ऐलान संभव है। कूटनीतिक सूत्रों ने बताया कि बैठक की अवधि कम ही रहेगी लेकिन इसका एजेंडा काफी व्यापक है।
मोदी-चिनफिंग मुलाकात पर दुनिया की नजर
राष्ट्रपति ट्रंप की शुल्क नीति की वजह से भारत व अमेरिका के रिश्तों में बने मौजूदा तनाव को देखते हुए मोदी और चिनफिंग की इस मुलाकात पर पूरी दुनिया की नजर होगी। पीएम मोदी जापान की यात्रा के बाद 31 अगस्त को चीन दो दिवसीय यात्रा पर पहुंचेंगे। 31 अगस्त को देर शाम को वह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की 25वीं शिखर बैठक के लिए आयोजित रात्रि भोज में हिस्सा लेंगे। एससीओ की शिखर बैठक एक सितंबर को होगी।
वैश्विक नेताओं का लगेगा जमघट
मौजूदा वैश्विक अनिश्चतता व दूसरे देशों के हितों को नजरअंदाज करने की ट्रंप की नीति को देखते हुए चीन ने इस बार एससीओ की इस सालाना बैठक को खास बनाने की कोशिश की है। इसमें एससीओ के 10 सदस्य देशों के अलावा 13 और देशों व 10 अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के प्रमुखों को आमंत्रित किया गया है। एक तरह से यहां समूचे आसियान देशों और मध्य एशियाई देशों के प्रमुखों का जमघट लगने वाला है।
पीएम मोदी की राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात
राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन, तुर्की के राष्ट्रपति रेसिप एर्दोगन, ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकिएन के अलावा नेपाल, पाकिस्तान, बेलारूस, मलयेशिया, इंडोनेशिया, मिस्त्र, अर्मेनिया, अजरेबेजान, मंगोलिया सरीके 23 देशों के प्रमुख यहां उपस्थित होंगे। पीएम मोदी की रूस के राष्ट्रपति पुतिन के अलावा कई अन्य देशों के नेताओं से द्विपक्षीय मुलाकात होगी।
आतंकवाद का बेहद कड़े शब्दों में भर्त्सना हो
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया कि, “भारत की पूरी कोशिश होगी कि एससीओ की बैठक के बाद जारी होने वाली संयुक्त घोषणा पत्र में आतंकवाद का बेहद कड़े शब्दों में भर्त्सना हो। भारत की अगुवाई में वर्ष 2023 में एससीओ की बैठक में सीमा पार आतंकवाद समेत हर तरह के आतंकवाद की निंदा की गई थी। एससीओ की स्थापना ही आतंकवाद, पृथकतावाद और कट्टरवाद के जोखिमों के खिलाफ हुई थी हालांकि अभी भी इन सभी की चुनौतियां बनी हुई हैं।''
इसी तरह से चीन से जो सूचनाएं मिल रही हैं उससे साफ है कि वहां की सरकार एससीओ बैठक को वैश्विक मंच पर एक बड़े आयोजन के तौर पर पेश करने की कोशिश कर रही है। चीन यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि जब अमेरिका जैसी शक्ति ने दुनिया के कई देशों के लिए समस्या पैदा कर दी है तो वह एससीओ के मंच पर विकासशील देशों को एकत्रित कर रहा है और उनके बीच सद्भाव बना रहा है।
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