एसआईआर में गड़बड़ी मिली तो पश्चिम बंगाल में उतरे माइक्रो आब्जर्वर, क्या होगा इनका काम?
पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची में गड़बड़ी की शिकायत के बाद चुनाव आयोग ने माइक्रो ऑब्जर्वर तैनात करने के आदेश दिए हैं। ये केंद्र सरकार के अधिकारी होंगे ...और पढ़ें

12 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में एसआईआर का काम चल रहा है
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मतदाता सूची को लेकर कराए जा रहे विशेष सघन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान पश्चिम बंगाल के कई जिलों में मसौदा सूची में गड़बड़ियों की शिकायत मिलने के बाद चुनाव आयोग ने अब राज्य में माइक्रो ऑब्जर्वर की तैनाती के आदेश दिए है। जो केंद्र सरकार या उससे जुड़े केंद्रीय उपक्रमों व केंद्रीय बैंकों के द्वितीय श्रेणी के अधिकारी स्तर के होंगे।
तैनाती के दौरान यह उस क्षेत्र में बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) द्वारा अपलोड किए गए गणना फार्मों की जांच, मतदाता सूची का मृत्यु और जन्म रजिस्टर्ड से मिलान, किसी क्षेत्र से यदि ज्यादा लोगों के नाम जुड़ गए या कट गए है, तो उसकी जांच आदि का काम करेंगे। चुनाव आयोग ने इसके साथ ही यह भी संकेत दिए है, यदि किसी अन्य राज्य में भी गड़बड़ियां पायी जाएगी तो वहां भी माइक्रो आब्जर्वर की तैनाती दी जा सकती है।
12 राज्यों में हो रहा एसआईआर
मौजूदा समय में आयोग की देखरेख में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु , उत्तर प्रदेश सहित 12 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में एसआईआर का काम चल रहा है। इनमें से आधा दर्जन से अधिक राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में ड्राफ्ट सूची भी जारी हो गई है। आयोग ने यह कदम वैसे तो मतदाता सूची से जुड़ी गड़बड़ियों को खत्म करने के लिहाज से उठाया है लेकिन इससे पश्चिम बंगाल की सियासत गरमा सकती है।
खासकर सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस इसके खिलाफ मोर्चे बंदी कर सकती है। चुनाव आयोग ने माइक्रो ऑब्जर्वर की तैनाती को लेकर दिए अपने आदेश में राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को इस बात के निर्देश दिए है, वह जरूरत के मुताबिक किसी भी जिले में डीईओ की मांग पर कितनी भी संख्या में माइक्रो ऑब्जर्वर की तैनाती दे सकती है।
माइक्रो ऑब्जर्वर की तैनाती के दौरान यह केंद्रीय अमला आयोग की प्रतिनियुक्ति पर रहेगा। साथ ही जहां उनकी मूल तैनाती होगा, वहां इस अवधि के दौरान आन ड्यूटी माना जाएगा। आयोग ने प्रतिनियुक्ति की अवधि के दौरान माइक्रो आब्जर्वर को काम के बदले 30 हजार रुपए एक मुश्त मानदेय भी देने का फैसला लिया है। गौरतलब है कि चुनाव आयोग इन राज्यों में रोल आब्जर्वर की तैनाती पहले से ही दे चुका है।
माइक्रो आब्जर्वर इन सारे कामों को देखेंगे
- यह मुख्य रूप से ब्लॉक और तहसील स्तर पर काम करेंगे। या फिर डीईओ जहां जरूरत समझेंगे, वहां इन्हें तैनात करेंगे।
- अपलोड किए गए गणना फार्मों व उसके साथ लगाए गए दस्तावेजों की जांच।
- नोटिस के बाद मतदाताओं की ओर से मुहैया कराने जाने वाले दस्तावेजों को जांचेंगे।
- दावे-आपत्तियों के साथ पेश किए जाने वाले दस्तावेजों की भी प्रामाणिकता को देखेंगे।
- मसौदा सूची के डाटा को अलग-अलग नजरिए से जांचेंगे।
- दावे-आपत्तियों के दौरान होने वाली सुनवाई को भी देखेगे और अपनी टिप्पणी देंगे।
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