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    90 दिन, पांच करोड़ मुकदमे; चर्चा से निकलेंगे समाधान के रास्ते

    Updated: Tue, 01 Jul 2025 02:43 PM (IST)

    भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 का एक साल पूरा होने पर भी अदालतों में लंबित मामले कम नहीं हो रहे हैं। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) और सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता एवं सुलह परियोजना समिति (एमसीपीसी) द्वारा 90 दिनों का मेडिएशन फार द नेशन अभियान शुरू किया जा रहा है। इसका उद्देश्य मध्यस्थता के माध्यम से लंबित मुकदमों का निपटारा करना है।

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    अदालतों में चर्चा से निकलेंगे समाधान के रास्ते (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    जेएनएन, नई दिल्ली। आज भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 का एक साल पूरा हो रहा है, जिसमें कुछ कृत्यों को अपराध की श्रेणी से हटाया गया, कुछ को फिर से परिभाषित किया गया और कुछ नए अपराधों को शामिल किया गया। फिर भी अदालतों में लंबित मामलों का आंकड़ा कम नहीं हो रहा है।

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    इसी के चलते आज से देश भर की अदालतों में लंबित मुकदमों के निपटारे के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) और सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता एवं सुलह परियोजना समिति (एमसीपीसी) की ओर से 90 दिनों का मध्यस्थता अभियान ‘मेडिएशन फार द नेशन’ शुरू किया जा रहा है है जो 30 सितंबर 2025 तक जारी रहेगा।

    • 9.33 लाख मामले फास्ट ट्रैक अदालतों में लंबित हैं, उत्तर प्रदेश में जो देश में सबसे अधिक है
    • 67 मामलों में निर्णय सुरक्षित है झारखंड उच्च न्यायालय में, जिनमें से कई दो वर्षों से अधिक समय से लंबित हैं
    • 14.3 लाख लंबित मामले हैं हरियाणा में जिसमें से 70 फीसदी से अधिक एक वर्ष से अधिक समय से लंबित है

    न्याय का ये वैकल्पिक तरीका पहली बार नहीं अपनाया गया है बल्कि मामलों के बढ़ते बोझ के चलते समय-समय पर ऐसे मध्यस्थता अभियान चलाए जाते रहे हैं, जिसमें बहस नहीं चर्चा होती है, निर्णय नहीं सहमति बनती है और सजा नहीं राह निकलती है। आइए जानते हैं देश में कुल मामलों की संख्या, प्रकार और अभियान की प्रक्रिया। प्रियम वर्मा की रिपोर्ट

    • 4,12,990 मामले प्रस्तुत किए गए मध्यस्थता के लिए
    • 92,446 मामलों का निपटारा कर दिया गया था
    • 1 मार्च 2021 से मार्च 2022 के बीच निपटाए गए मामलों की संख्या 50,000 के करीब रही।

    क्या है प्रक्रिया

    अभियान के तहत हर राज्य में हाई कोर्ट में ऐसे मामलों की पहचान की जाएगी जिन्हें मध्यस्थता योग्य माना जाता है। प्रशिक्षित मध्यस्थ (जिनमें महिलाएं और युवा भी शामिल हैं) पूरे सप्ताह आनलाइन, आफलाइन या हाइब्रिड माध्यम से काम करेंगे। इस दौरान प्रमुख रूप से वैवाहिक विवाद, दुर्घटना दावे, घरेलू हिंसा, चेक बाउंस, सेवा मामले, बेदखली व अन्य मामले शामिल किए जाएंगे।