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    'हिंदुओं की हत्या को राजनीतिक हिंसा...' बांग्लादेश में अशांति को लेकर विदेश मंत्रालय ने जताई गंभीर चिंता

    Updated: Fri, 26 Dec 2025 10:06 PM (IST)

    भारत ने बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। विदेश मंत्रालय ने इन घटनाओं को राजनीतिक हिंसा या मीडि ...और पढ़ें

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    भारत ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों पर चिंता जताई (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बांग्लादेश में बिगड़ते हालात और वहां हिंदुओं व अन्य अल्पसंख्यकों पर लगातार हो रहे हमले पर शुक्रवार को भारत ने एक बार फिर बहुत ही गंभीर चिंता जताई है। भारत ने वहां की अंतरिम सरकार की तरफ से धार्मिक भेदभाव के आधार पर किये जा रहे हत्याओं व लूट को सिर्फ राजनीतिक हिंसा या मीडिया की तरफ से बढ़ा-चढ़ा कर पेश किये जाने की प्रतिक्रिया पर भी गहरा रोष जताया है और कहा है कि इन घटनाओं को छिपाया नहीं जा सकता।

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    इसके साथ ही भारत ने यह भी कहा है कि अल्पसंख्यकों पर हमले के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। अल्पसंख्यकों की हत्या रोकने में असफल रहे प्रोफेसर मोहम्मद युनूस की अंतरिम सरकार को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी आवाज उठ रही है।

    भारत ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों पर चिंता जताई

    अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों से लेकर ब्रिटिश संसद तक में इस बात पर ¨चता जताई गई है। बांग्लादेश में आम चुनाव की घोषणा के बाद वहां अल्पसंख्यकों पर हमले की घटनाओं में भी वृद्धि देखने को मिली है।

    पहले भीड़ ने दीपू चंद्र दास की पुलिस हिरासत से बाहर निकाल कर नृशंस हत्या कर दी और उसके शव को पेड़ से लटका कर आग लगा दिया। उसके बाद अमृत मंडल की भी हत्या कर दी गई है।

    अंतरिम सरकार की निष्क्रियता और मीडिया पर दोषारोपण खारिज

    विभिन्न रिपोर्टों के मुताबिक अगस्त, 2024 से दिसंबर, 2025 के बीच बांग्लादेश में 35 के करीब हिंदुओं की हत्या हुई है।इस बारे में पूछने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा कि, “ बांग्लादेश में भारत के खिलाफ फैलाए जा रहे झूठ को भारत एक सिरे से खारिज करता है और हम दोहराते हैं कि कानून-व्यवस्था बनाए रखना व सुरक्षा सुनिश्चित करना बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी है।

    भारत इन घटनाक्रमों पर बारीकी से नजर रख रहा है और हिंदुओं, ईसाई तथा बौद्ध सभी अल्पसंख्यों के प्रति जारी शत्रुता को लेकर गहरी चिंता व्यक्त करते हैं। अंतरिम सरकार के कार्यकाल में विभिन्न स्त्रोतों द्वारा दर्ज किए गए अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के 2,900 से अधिक मामले सामने आए हैं। इन घटनाओं को महज मीडिया अतिशयोक्ति बताकर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और न ही इन्हें राजनीतिक हिंसा कहकर खारिज किया जा सकता है।''

    दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग, अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा

    गौरतलब है कि जब भी बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की हत्या होती है तो वहां की अंतरिम सरकार उसकी सीधे तौर पर जिम्मेदारी नहीं ले कर मामले को भारतीय मीडिया की तरफ से बढ़ा चढ़ा कर बताने की कोशिश करती है। प्रोफेसर युनूस स्वयं कई बार विदेशी मीडिया में दिए गए साक्षात्कारों में अपने देश की आंतरिक स्थिति को लेकर भारतीय मीडिया की तरफ से अफवाह फैलाने का आरोप लगा चुके हैं।

    पूर्व में भी अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा हुई है तो वहां की पुलिस की भूमिका काफी संदेहास्पद रही है। दीपू चंद्र दास के पहले भी कुछ मामलों में यह देखा गया है कि उग्र भीड़ ने पुलिस की गिरफ्त से आरोपित हिंदुओं  को बाहर खींच कर हत्या की है।

    पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठती रही है लेकिन सरकार की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं होती। दूसरी तरफ, अंतरिम सरकार पूरे बांग्लादेश में भारत विरोधी अफवाहों को रोकने में भी कोई कदम नहीं उठा रही। इसका एक उदाहरण, छात्र नेता हादी की हत्या का है। हादी के भाई ने उसकी हत्या के लिए अंतरिम सरकार को ही जिम्मेदार ठहराया है।