मथुरा ऐस्केप कैनाल पर अतिक्रमण हटाने के आदेश में हस्तक्षेप से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार
हाई कोर्ट ने 22 फरवरी को मथुरा एस्केप कैनाल पर हुए अतिक्रमण को हटाने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट के आदेश के बाद से करीब 700 घरों पर ढहने का खतरा मंडरा रहा है जिससे करीब चार पांच हजार लोग प्रभावित हो सकते हैं।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। मथुरा में सिंचाई विभाग की जमीन पर हुए अतिक्रमण (मथुरा एस्केप कैनाल अतिक्रमण) मामले में तोड़फोड़ के साये में रह रहे लोगों को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने के हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार शीघ्र ही पुनर्वास की नीति लाए। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश वी. रामासुब्रमण्यम और पंकज मित्तल की पीठ ने गत 10 अप्रैल को ये आदेश दिया।
पांच हजार लोगों के बेघर होने का खतरा
इससे पहले हाई कोर्ट के आदेश को रद्द करने और उस पर रोक लगाने की मांग कर रहे याचिकाकर्ताओं के वकील डॉक्टर राजीव शर्मा ने कहा कि हाई कोर्ट के 22 फरवरी 2023 के आदेश से वहां करीब चार दशक से रह रहे चार-पांच हजार लोगों के बेघर होने का खतरा उत्पन्न हो गया है। हाई कोर्ट ने आदेश देते वक्त इस बात पर गौर नहीं किया कि संजय नगर के नियमितीकरण का मामला अदालत में विचाराधीन है।
दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने खारिज की याचिका
इसके अलावा यूपी कैनाल एक्ट के तहत भी मामला विशेष मजिस्ट्रेट मथुरा अपर खंड कैनाल के यहां लंबित है। उन्होंने कहा कि कैनाल की चौड़ाई जल निगम ने कम की है न कि याचिकाकर्ताओं ने। वकील ने कहा कि हाई कोर्ट का आदेश उस तय कानूनी व्यवस्था के खिलाफ है जो कहती है कि किसी को पुनर्वास प्लान के बगैर बेदखल नहीं किया जाना चाहिए और लोगों से उस पर विचार विमर्श होना चाहिए। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता अति गरीब तबके से अनुसूचित जाति वर्ग के हैं। कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद याचिका खारिज करते हुए कहा कि उन्हें हाई कोर्ट के आदेश में दखल देने का कोई न्यायोचित आधार नहीं लगता। हालांकि, कोर्ट ने आदेश में लिखाया है कि उत्तर प्रदेश सरकार शीघ्र ही पुनर्वास की योजना लाए।
हाई कोर्ट ने 22 फरवरी को दिया था अतिक्रमण हटाने का आदेश
हाई कोर्ट ने 22 फरवरी को मथुरा एस्केप कैनाल पर हुए अतिक्रमण को हटाने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट के आदेश के बाद से करीब 700 घरों पर ढहने का खतरा मंडरा रहा है, जिससे करीब चार पांच हजार लोग प्रभावित हो सकते हैं। संजय नगर विकास सेवा समिति व कुछ अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी।

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