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    मथुरा एस्केप केनाल पर अतिक्रमण हटाने का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने की मांग

    By Jagran NewsEdited By: Devshanker Chovdhary
    Updated: Tue, 04 Apr 2023 08:46 PM (IST)

    मथुरा में सिंचाई विभाग की जमीन पर हुए अतिक्रमण (मथुरा एस्केप कैनाल अतिक्रमण) का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। हाई कोर्ट के अतिक्रमण हटाने के आदेश के बाद मकान ढहने से आशंकित लोग राहत मांगने सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। File Photo

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    मथुरा एस्केप केनाल पर अतिक्रमण हटाने का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मथुरा में सिंचाई विभाग की जमीन पर हुए अतिक्रमण (मथुरा एस्केप कैनाल अतिक्रमण) का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। हाई कोर्ट के अतिक्रमण हटाने के आदेश के बाद मकान ढहने से आशंकित लोग राहत मांगने सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। डेढ़ दर्जन से ज्यादा लोगों ने याचिका दाखिल कर हाई कोर्ट के 22 फरवरी के आदेश पर रोक लगाने की मांग की है।

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    हाई कोर्ट ने 22 फरवरी को मथुरा एस्केप केनाल पर हुए अतिक्रमण को हटाने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट के आदेश के बाद से करीब 700 घरों पर ढहने का खतरा मंडरा रहा है, जिससे करीब चार पांच हजार लोग प्रभावित हो सकते हैं। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई होनी थी, लेकिन जिस पीठ के समक्ष याचिका सुनवाई पर लगी थी। वह पीठ बुधवार को नहीं बैठ रही है।

    पीठ के एक न्यायाधीश उस दिन उपलब्ध नहीं होंगे। इसलिए, अब यह मामला किसी और तारीख पर सुनवाई के लिए लगेगा। अतिक्रमण करने वालों ने वकील डॉक्टर राजीव शर्मा के जरिये सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा है कि वे लोग उस जगह पर करीब चार दशक से रह रहे हैं और हाई कोर्ट ने पुनर्वास के मुद्दे पर विचार किये बगैर ढहाने का आदेश दे दिया।

    हाई कोर्ट का आदेश उस तय कानूनी व्यवस्था के खिलाफ है, जो कहती है कि किसी को पुनर्वास प्लान के बगैर बेदखल नहीं किया जाना चाहिए और लोगों से उस पर विचार विमर्श होना चाहिए। याचिका में यह भी कहा गया है कि उस जगह जो कि संजय नगर कालोनी है, के नियमितीकरण की प्रक्रिया चल रही है और इसके नियमितीकरण की याचिका हाई कोर्ट व मथुरा के जिला मजिस्ट्रेट के यहां लंबित है।

    यह भी कहा गया है कि नहर की चौड़ाई जल निगम ने कम की है न कि याचिकाकर्ताओं ने। इसके अलावा यूपी कैनाल एक्ट के तहत कार्यवाही अभी भी स्पेशल ज्युडिशियल मजिस्ट्रेट मथुरा के समक्ष लंबित है। हाई कोर्ट को आदेश देने के पहले इन सब चीजों पर भी गौर करना चाहिए था। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता बहुत ही गरीब तबके से आते हैं और अनुसूचित जाति वर्ग से हैं।