गणित के सिलेबस पर 900 गणितज्ञों ने जताई आपत्ति, UGC से किया सुधार का आग्रह
900 से अधिक शोधकर्ताओं ने यूजीसी से गणित के स्नातक पाठ्यक्रम के मसौदे को वापस लेने का आग्रह किया है क्योंकि उनका मानना है कि इसमें गंभीर कमियां हैं जो छात्रों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेंगी। बीजगणित वास्तविक विश्लेषण और व्यावहारिक गणित जैसे महत्वपूर्ण विषयों को पर्याप्त महत्व नहीं दिया गया है। मसौदे में भारतीय ज्ञान परंपरा पर जोर दिया गया है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 900 से ज्यादा शोधकर्ताओं और गणितज्ञों ने यूजीसी से गणित के स्नातक पाठ्यक्रम के मसौदे को वापस लेने की अपील की है। उनका कहना है कि इसमें कई गंभीर कमियां हैं और अगर इसे लागू किया गया तो कई पीढ़ियों के छात्रों पर बुरा असर पड़ेगा। पिछले महीने यूजीसी ने गणित सहित नौ विषयों के स्नातक पाठ्यक्रम का मसौदा जारी किया था और इस पर सुझाव मांगा था।
यूजीसी अध्यक्ष को भेजे गए प्रतिवेदन में कहा गया है कि इसमें बीजगणित, वास्तविक विश्लेषण और व्यावहारिक गणित जैसे विषयों को पर्याप्त रूप से शामिल नहीं किया गया है। बताते चलें, इस मसौदे में चार साल के स्नातक कार्यक्रम की परिकल्पना की गई है, जो छात्रों को दाखिला लेने और पढ़ाई छोड़ने का विभिन्न विकल्प प्रदान करता है। मसौदा पाठ्यक्रम को राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत लर्निंग आउटकम-आधारित फ्रेमवर्क के अनुसार तैयार किया गया है।
गणितज्ञों की यह है आपत्ति
गणितज्ञों ने प्रतिवेदन में कहा है-व्यावहारिक गणित और बीजगणित को उचित महत्व नहीं दिया गया है। स्नातक पाठ्यक्रम में बीजगणित के कम से कम तीन कोर्स होने चाहिए। देश में गणित और सभी वैज्ञानिक गतिविधियों का भविष्य खतरे में है। -प्रोग्रामिंग, संख्यात्मक विधियों और सांख्यिकी जैसे महत्वपूर्ण व्यावहारिक विषयों का मुख्य पाठ्यक्रम में अभाव है या उन्हें बिना व्यावहारिक प्रशिक्षण के सतही तौर पर प्रस्तुत किया गया है। सांख्यिकी को एक ही पाठ्यक्रम में जबरदस्ती ठूंस दिया गया है। सांख्यिकी, मशीन लर्निंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे पाठ्यक्रमों में व्यावहारिक और अनुप्रयोग-आधारित घटक होना स्वाभाविक और सामान्य बात है। इस अवसर को बर्बाद कर दिया गया है।
भारतीय ज्ञान परंपरा पर यूजीसी का जोर
यूजीसी द्वारा जारी स्नातक गणित पाठ्यक्रम में काल गणना (पारंपरिक भारतीय समय गणना), भारतीय बीजगणित, भारतीय परंपरा में पुराणों का महत्व और नारद पुराण में पाए जाने वाले बुनियादी अंकगणित और ज्यामिति से संबंधित गणितीय अवधारणाओं और तकनीकों पर ध्यान दिया गया है। यूजीसी ने भारतीय बीजगणित के इतिहास और विकास तथा परावर्त्य योजयेत सूत्र (एक पारंपरिक वैदिक गणित तकनीक) का उपयोग करके बहुपदों का विभाजन सिखाने की सिफारिश की है।
पंचांग और शुभ मुहूर्त को भी शामिल किया गया है
स्नातक गणित पाठ्यक्रम में पंचांग (भारतीय कैलेंडर) जैसी अवधारणाओं को सिखाने का प्रस्ताव है। यह भी बताया गया है कि यह रीति-रिवाजों और त्योहारों में इस्तेमाल होने वाले शुभ समय (मुहूर्त) का निर्धारण कैसे करता है। प्रस्तावित पाठ्यक्रम खगोल विज्ञान, पौराणिक कथाओं और संस्कृति का मिश्रण है, जो भारत के समृद्ध समय-विज्ञान को जीवंत बनाता है। इसमें प्राचीन वेधशालाएं, उज्जैन की प्रधान मध्याह्न रेखा और प्राचीन भारतीय वैदिक समय इकाइयों-घटी और विघटी की तुलना आधुनिक सिस्टम जैसे ग्रीनविच मीन टाइम (जीएमटी) और भारतीय मानक समय (आइएसटी) से की गई है।
(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
यह भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट का UGC को कड़े निर्देश, उच्च शिक्षा में भेदभाव रोकने के लिए कदम उठाने को कहा
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।