दूषित पानी व भोजन से कई छात्र बीमार, उग्र छात्रों ने की तोड़फोड़; वाहनों को फूंका
इंदौर-भोपाल हाईवे पर वीआईटी यूनिवर्सिटी में दूषित पानी और खाने की शिकायत पर छात्रों ने हंगामा किया। छात्रों ने खराब पानी से पीलिया होने का आरोप लगाया और प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया। विरोध के दौरान छात्रों ने तोड़फोड़ और आगजनी की। प्रशासन ने हस्तक्षेप कर छात्रों को कार्रवाई का आश्वासन दिया। यूनिवर्सिटी ने अवकाश घोषित कर हॉस्टल खाली करने के निर्देश दिए, जिससे छात्र परेशान हुए।

हॉस्टर के छात्रों ने जमकर काटा बवाल।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंदौर-भोपाल हाईवे पर ग्राम कोठरी स्थित वेल्लोर इंस्टिट्यूट आफ टेक्नोलॉजी (वीआईटी) यूनिवर्सिटी में मंगलवार-बुधवार की दरमियानी रात उस समय बवाल मच गया जब हॉस्टल में दूषित पानी और खाने की शिकायतों से नाराज छात्रों ने प्रबंधन के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन शुरू कर दिया। छात्रों का आरोप है कि खराब पानी से कई छात्र पीलिया सहित गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं, लेकिन शिकायतों के बाद भी प्रबंधन ने समस्या पर ध्यान नहीं दिया।
स्थिति तब बिगड़ी जब विरोध कर रहे छात्रों और गार्डों के बीच कहासुनी के बाद मारपीट हो गई। इसके बाद छात्रों का गुस्सा भड़क उठा और उन्होंने कैंपस में खड़ी बस और कार में आग लगा दी, साथ ही अन्य संपत्तियों में भी तोड़फोड़ की।
खाने-पीने को लेकर होते रहते हैं विवाद
जानकारी के अनुसार वीआईटी में इस समय करीब 22 हजार विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे है। इसमें से करीब 15 हजार छात्र-छात्राएं वीआईटी परिसर में बने आठ हास्टलों में रहते हैं। यहां दो ब्लॉक में करीब 3 हजार छात्राएं व पांच ब्लॉक में करीब 12 हजार छात्र रहते हैं। यहां प्रति विद्यार्थी की रेंक के हिसाब से 2 से लेकर 6 लाख रुपये तक सालाना फीस है। यहां मप्र, उप्र, पश्चिम बंगाल, हैदराबाद सहित कई राज्यों के बच्चे, बीटेक, एमटेक, एमबीए सहित अन्य विषयों में स्नातक व स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे हैं।
पिछले कुछ वर्षो से यहां खाना व पानी को लेकर विवाद होते रहते हैं। इससे यहां बड़ी संख्या में बच्चे बीमार होते हैं, लेकिन प्रबंधन परीक्षा में शामिल नहीं करने व विद्यार्थियों की गलती बताकर हर बार बच निकलता है, लेकिन इस बार मंगलवार-बुधवार की रात हद तक हो गई जब ब्लाक-8 के विद्यार्थियों ने पानी-भोजन की गुणवत्ता सुधारने व उपचार की मांग उठाई तो यहां के वार्डन व गार्ड ने उनके साथ मारपीट कर दी, जिससे करीब चार हजार छात्र उग्र हो गए और परिसर में तोड़फोड़ करने के साथ ही चार वाहनों में आग लगा दी।
घटना की सूचना मिलते ही मिलते ही आष्टा एसडीएम नितिन टाले, एसडीओपी आकाश अमलकर, तथा आष्टा, जावर, पार्वती और कोतवाली सहित अन्य थानों से पुलिस बल रात दो बजे कैंपस पहुंचा। अधिकारियों ने छात्रों से चर्चा कर उनकी समस्याएं सुनीं और आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन दिया। इसके बाद मामला शांत हो गया।
पीलिया के मामलों ने बढ़ाया तनाव
छात्रों ने बताया कि हास्टल में पिछले कई महीनों से पानी की गुणवत्ता बेहद खराब है। खासकर ब्लॉक 3 व 4 में दो सप्ताह से दूषित पानी सप्लाई किया जा रहा है। प्रबंधन से शिकायत करने पर वह खरीदकर पानी पीने की बात करता है, उनके अनुसार कई विद्यार्थी पीलिया और अन्य पेट संबंधी बीमारियों से ग्रस्त हो गए। शिकायत होने के बावजूद प्रबंधन ने समस्या को नजरअंदाज किया। इससे बीमारी के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हुई। इसी को लेकर छात्रों ने सोमवार रात विरोध किया, तभी गार्डों द्वारा कथित मारपीट के बाद हालात बेकाबू हो गए।
मेडिकल टेस्ट के लिए छात्रों के ब्लड सैंपल लिएस्वास्थ्य विभाग की टीम को भी कैंपस में बुलाया गया। टीम ने मेडिकल टेस्ट के लिए सभी छात्रों के ब्लड सैंपल लिए। छात्रों ने बताया कि यूनिवर्सिटी में भोजन और पानी की खराब क्वालिटी के कारण हमारे कई साथियों को पीलिया हो गया है। 100 छात्र अस्पतालों में भर्ती हैं। कुछ की मौत भी हुई है। इसके बाद स्टूडेंट्स यूनिवर्सिटी छोड़कर चले गए।
कालेज में डॉक्टर नहीं, मेडिकल में सिर्फ पेन किलर
वीआईटी विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों का कहना है कि यहां दूषित पानी इसलिए दिया जाता है कि यहां खुली केंटीन का पानी बिक सके। हालत यह है कि लंबे समय से शिकायत कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनने तैयार नहीं है। लाखों रुपये फीस लेने के बाद भी प्रबंधन सुविधाएं नहीं दे रहा है। खास बात तो यह है कि यहा आठ ब्लाक है, दो छात्राओं के ब्लाक में तीन हजार छात्राए व 6 ब्लाक में करीब 12 हजार छात्र रहते है, लेकिन उपचार कराने के लिए डॉक्टर नहीं है। यहां तक कि मेडिकल में दर्द निवारक दवा के अलाव अन्य कोई दवाई नहीं है। इतना ही नहीं जब दूषित पानी की बात सामने आई तो रात तीन बजे टंटियों से पूरा पानी खाली करा दिया गया। ऐसे में यहां के मेडिकल व पानी जांच का विषय है।
अवकाश घोषित, फिर हॉस्टल खाली करने को कहा
मंगलवार को विश्वविद्यालय प्रबंधन ने 30 नवंबर तक अवकाश घोषित किया। बाद में बुधवार सुबह 12 बजे ईमेल भेजकर कहा गया कि 8 दिसंबर तक छुट्टी रहेगी और उसके तुरंत बाद छात्रों को हास्टल खाली करने के निर्देश दे दिए गए। इसके बाद अचानक निर्णय के कारण कई छात्र फंस गए। अन्य राज्यों के लिए न सीटें उपलब्ध हुई न ही टिकट मिले। हालत यह रही कि मुख्य गेट बंद होने से छात्रों को डेढ़ किलोमीटर पैदल ट्राली बैग घसीटकर पिछले गेट से बाहर निकलना पड़ा। इससे हजारों छात्र हाईवे पर परेशान होते रहे। जिनको आटो मिले उनसे चालकों ने बच्चों से 1 किलोमीटर के 20–30 रुपये तक वसूले। इस मार्ग में कई बार जाम लगा।

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