जरांगे का अनशन खत्म: हैदराबाद गजट ही प्रमाण क्यों? फडणवीस बोले- मराठा समाज को इससे बहुत लाभ मिलेगा
महाराष्ट्र सरकार द्वारा मराठा आरक्षण आंदोलनकर्ता मनोज जरांगे पाटिल की मांगें माने जाने के बाद उन्होंने अपना अनशन समाप्त कर दिया। सरकार हैदराबाद गजट को मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र के मराठों के कुनबी होने का प्रमाण मानकर आरक्षण देगी। मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि इससे मराठा समाज को लाभ होगा।

राज्य ब्यूरो, मुंबई। महाराष्ट्र सरकार द्वारा मराठा आरक्षण आंदोलनकर्ता मनोज जरांगे पाटिल की मांगें मान लिए जाने के बाद जरांगे पाटिल ने अपना पांच दिनों से चल रहा अनशन समाप्त कर दिया है।
जरांगे की मांग थी कि सरकार हैदराबाद गजट को प्रमाण मानकर मराठवाड़ा एवं पश्चिम महाराष्ट्र के मराठों के कुनबी होने का प्रमाणपत्र देगी, और इन कुनबियों को ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण प्रदान किया जाएगा। इस समझौते के बाद मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि अब सबूत के तौर पर हैदराबाद गजेटियर काम आएगा। मुझे लगता है कि मराठा समाज को इससे बहुत लाभ मिलेगा।
गतिरोध हुआ समाप्त
मनोज जरांगे पाटिल एवं सरकार के बीच पिछले पांच दिनों से चला आ रहा गतिरोध उस समय समाप्त हो गया, जब मराठा आरक्षण पर विचार करने के लिए बनाई गई कैबिनेट उपसमिति के प्रमुख एवं वरिष्ठ मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल दो अन्य मंत्रियों के साथ जरांगे पाटिल से बात करने उनके अनशन स्थल आजाद मैदान पहुंचे।
मंत्रियों ने जरांगे पाटिल को आश्वस्त किया कि उनकी मांग के अनुसार ‘हैदराबाद गजेट’ को कुनबी-मराठा पहचान के प्रमाण के तौर पर मान्यता दी जाएगी। इसके बाद मनोज जरांगे पाटिल ने मंत्रियों द्वारा साथ लाए गए प्रपत्र को माइक पर पढ़कर आजाद मैदान में जमा अपने समर्थकों को सुनाया और कहा कि हम जीत गए हैं। आज हमें गरीबों की ताकत का अहसास हो गया है।
फडणवीस ने जताई खुशी
यदि आज सरकारी आदेश (जीआर) जारी हो गया तो हम आज ही रात नौ बजे तक मुंबई से रवाना हो जाएंगे। जीआर जारी होने के बाद मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि मुझे खुशी है कि ये अनशन आज खत्म हुआ। इसके लिए मैं अपने मंत्रिमंडल एवं दोनों उपमुख्यमंत्रियों का भी अभिनंदन करता हूँ।
मेरा मानना है कि राजनीति में आपको कभी पत्थर मारेंगे, कभी गाली देंगे, तो कभी माला भी पहनाएंगे। जीआर जारी होने के बाद मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने मनोज जरांगे पाटिल को जूस पिलाकर उनका अनशन खत्म करवाया। जरांगे के समर्थकों ने गुलाल उड़ाकर जीत का जश्न मनाया और मुंबई से वापस जाने लगे हैं।
मनोज जरांगे पाटिल अपने हजारों समर्थकों के साथ मुंबई आकर 29 अगस्त से दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में अपना अनशन शुरू कर दिया था, और कहा था कि वह अपनी मांगें पूरी होने के बाद ही मुंबई से वापस जाएंगे।
क्या है जीआर में?
मंगलवार को एक महत्त्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत सरकार ने उनकी मांगें मान लीं, और इस आशय का सरकारी आदेश (जीआर) जारी कर दिया कि हैदराबाद राजपत्र के ऐतिहासिक अभिलेखों को मराठा समाज के सदस्यों को कुनबी जाति का प्रमाण पत्र देने के लिए वैध साक्ष्य माना जाएगा।
जीआर में कहा गया है कि आजादी के पहले की हैदराबाद रियासत की सन् 1900, 1902, 1918, 1923, 1926, 1928 और 1948 में जारी अधिसूचनाएं एवं अभिलेखों को मराठों को कुनबी प्रमाणपत्र जारी करने के लिए साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जाएगा। इससे मराठों को कुनबी मानकर उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटे के अंतर्गत शिक्षा एवं नौकरियों में आरक्षण दिया जा सकेगा।
हैदराबाद गजट ही प्रमाण क्यों ?
आज के महाराष्ट्र का मराठवाड़ा एवं पश्चिम महाराष्ट्र का कुछ क्षेत्र आजादी से पहले निजाम हैदराबाद की रियासत का हिस्सा था। हैदराबाद रियासत के गजट में खेती करनेवाले मराठा समुदाय के लोगों को कुनबी का दर्जा दिया गया था।
चूंकि विदर्भ सहित महाराष्ट्र के कुछ और भागों में कुनबी समुदाय के लोगों को ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण प्राप्त है, इसलिए मनोज जरांगे पाटिल की मांग थी कि पूरे मराठवाड़ा एवं पश्चिम महाराष्ट्र के मराठों को भी हैदराबाद गजट के अनुसार कुनबी मानकर उन्हें ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण प्रदान किया जाए। पिछले वर्ष सरकार द्वारा उच्चन्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश संदीप शिंदे की अध्यक्षता में गठित समिति ने बड़ी संख्या में लोगों को कुनबी प्रमाण पत्र वितरित भी किए हैं।
क्या थी मांग?
जरांगे पाटिल की मांग थी कि हैदराबाद गजट को प्रमाण मानते हुए उन सभी मराठों को कुनबी का दर्जा दिया जाए, जिनके पूर्वजों के नाम गजट में शामिल रहे हैं। सरकार ने उनकी यह मांग तो मान ली है, लेकिन उन्हें यह भी स्पष्ट कर दिया है कि इस प्रकार एक समूचे समूह को आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। इसके लिए व्यक्तिगत स्तर पर लोगों को आवेदन करना होगा, तब उनके मामलों की पूरी पड़ताल करके ही उन्हें कुनबी प्रमाणपत्र दिया जाएगा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।