उपलब्धियों से भरा मनमोहन सिंह का पूरा जीवन, आर्थिक सुधारों से बदली भारत की तस्वीर; इन पदों पर निभाई जिम्मेदारी
Manmohan Singh Passes Away Dr Manmohan Singh Achievements पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन से पूरे देश में शोक की लहर है। उनका पूरा जीवन उपलब्धियों से भरा है। शुक्रवार को होने वाले सभी कार्यक्रमों को रद कर दिया गया है। उनकी किताब इंडियाज एक्सपोर्ट ट्रेंड्स एंड प्रोस्पेक्ट्स फॉर सेल्फ सस्टेंड ग्रोथ भारत की व्यापार नीति की पहली और सटीक आलोचना मानी जाती है।

जेएनएन, नई दिल्ली। डॉ. मनमोहन सिंह (Ex PM of India) भारत के 13 वें प्रधानमंत्री थे। वह एक अर्थशास्त्री भी थे। लोकसभा चुनाव 2009 में मिली जीत के बाद वह जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के पहले ऐसे प्रधानमंत्री बने, जिन्हें पांच वर्षों का कार्यकाल पूरा करने के बाद लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री (Dr Manmohan Singh Passes Away) बनने का अवसर मिला था। उन्हें 22 जून 19 91 से 16 मई 1996 तक पीवी नरसिंह राव के प्रधानमंत्रित्व काल में वित्त मंत्री के रूप में किए गए आर्थिक सुधारों का श्रेय दिया जाता है।
कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड से की पढ़ाई
पंजाब विश्वविद्यालय से उन्होंने स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर की पढ़ाई पूरी की। बाद में वह कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय गए। जहां से उन्होंने पीएचडी की। इसके बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डी-फिल भी किया। उनकी पुस्तक इंडियाज एक्सपोर्ट ट्रेंड्स एंड प्रोस्पेक्ट्स फॉर सेल्फ सस्टेंड ग्रोथ भारत की व्यापार नीति की पहली और सटीक आलोचना मानी जाती है।
अर्थशास्त्र के शिक्षक के तौर पर मिली ख्याति
डॉ. सिंह ने अर्थशास्त्र के अध्यापक के तौर पर काफी ख्याति अर्जित की। वह पंजाब विश्वविद्यालय और बाद में प्रतिष्ठित दिल्ली स्कूल ऑफ इकनामिक्स में प्राध्यापक रहे। (Dr Manmohan Singh Achievements) इसी बीच वह संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन सचिवालय में सलाहकार भी रहे और 1987 और 1990 में जेनेवा में साउथ कमीशन में सचिव भी रहे। 1971 में डॉ. सिंह भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के तौर पर नियुक्त किए गए। इसके बाद 1972 में उन्हें वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाया गया।
आरबीआई गवर्नर भी रह चुके
मनमोहन सिंह योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे हैं। इसके अलावा रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष भी रहे। भारत के आर्थिक इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब वह 1991 से 1996 तक भारत के वित्त मंत्री रहे।
योजना आयोग के उपाध्यक्ष और पीएम के आर्थिक सलाहकार भी रहे
1985 में राजीव गांधी के शासन काल में मनमोहन सिंह को योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। इस पद पर उन्होंने लगातार पांच वर्षों तक कार्य किया, जबकि 1990 में वह प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार (Economic Reforms of India 1991) बनाए गए। जब पीवी नरसिंह राव प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने मनमोहन सिंह को 1991 में अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया और वित्त मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंपा। इस समय वह न तो लोकसभा और न ही राज्यसभा के सदस्य थे। मगर संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार सरकार के मंत्री को संसद का सदस्य होना आवश्यक होता है। इसलिए उन्हें 1991 में असम से राज्यसभा भेजा गया था।
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