क्या होता है पूर्व पीएम की समाधि का प्रोटोकॉल? Manmohan Singh के अंतिम संस्कार पर छिड़ी बहस तो क्यों याद दिलाए गए नरसिम्हा राव
Manmohan Singh News मनमोहन सिंह का निगम बोध घाट पर अंतिम संस्कार होने के बाद से अब इस पर राजनीति गरम है। अंतिम संस्कार के बाद कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने सरकार पर मनमोहन सिंह का अपमान करने का आरोप लगाया। इसपर भाजपा ने भी पलटवार किया और कांग्रेस को नरसिम्हा राव का समय याद दिलाया। आखिर पूर्व पीएम की समाधि स्थल का प्रोटोकॉल क्या होता है आइए जानें।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का बीते दिन 28 दिसंबर को दिल्ली के निगम बोध घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार के बाद कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने सरकार पर मनमोहन सिंह का अपमान करने का आरोप लगाया।
राहुल गांधी ने पोस्ट कर कहा कि सिख समाज के पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निगम बोध घाट पर अंतिम संस्कार करवाकर केंद्र ने उनका अपमान किया है। वहीं, अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अंतिम संस्कार और समाधि बनाने के लिए भाजपा 1000 गज जमीन भी नहीं दे सकी। इसपर भाजपा ने भी पलटवार किया और कांग्रेस को नरसिम्हा राव का समय याद दिलाया।
आखिर मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार को लेकर पूरा विवाद क्या है और भाजपा ने नरसिम्हा राव का नाम लेकर किस बात पर तंज कसा है, आइए जानते हैं। इसी के साथ हम ये भी बताएंगे कि आखिर पूर्व पीएम की समाधि स्थल का प्रोटोकॉल क्या होता है।
मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार पर विवाद क्यों?
- पूर्व पीएम के अंतिम संस्कार को लेकर विवाद का मूल कारण समाधि स्थल है। दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 27 दिसंबर को पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिख मांग की थी कि मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार वहीं हो जहां उनका स्मारक बन सके।
- प्रियंका गांधी ने मनमोहन सिंह का स्मारक इंदिरा गांधी के स्मारक (शक्ति स्थल) या राजीव गांधी के स्मारक (वीर भूमि) के पास बनाने का सुझाव दिया।
- इस पर गृह मंत्रालय का जवाब भी आया कि अंतिम संस्कार के लिए निगमबोध घाट ही चुना गया है। मंत्रालय ने कहा कि स्मारक दिल्ली में बनेगा, लेकिन इसके लिए सही स्थान देखा जाएगा और ट्रस्ट बनेगा, जिसमें समय लगेगा।
कांग्रेस पर राजनीति करने का आरोप
विपक्ष के हमले के बाद भाजपा ने भी कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि वो मनमोहन के निधन पर भी राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि शाह ने ये साफ कर दिया है कि स्मारक बनाया ही जाएगा और इसके लिए जमीन का चयन होगा और ट्रस्ट का गठन होगा, जिसके लिए समय चाहिए ही।
वहीं, भाजपा नेता सीआर केसवन ने कांग्रेस को नरसिम्हा राव की याद दिलाई। भाजपा नेता ने कहा कि कांग्रेस ने सरकार होते हुए भी पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के लिए दिल्ली में कभी कोई स्मारक नहीं बनाया। यहां तक की राव का पार्थिव शरीर कांग्रेस मुख्यालय में भी नहीं रखा गया। उन्होंने कहा कि क्या तब पूर्व पीएम का अपमान नहीं हुआ।
BJP बोली- कांग्रेस ने खुद कभी मनमोहन जी का सम्मान नहीं किया
सुधांशु त्रिवेदी ने ये भी कहा कि कांग्रेस ने कभी मनमोहन सिंह का सम्मान नहीं दिया। प्रधानमंत्री रहते हुए मनमोहन को कुर्सी पर बिठा तो दिया, लेकिन पावर नहीं दी।
बता दें कि कांग्रेस नीत यूपीए सरकार में मंत्री रहे नटवर सिंह ने भी अपनी आत्मकथा ‘वन लाइफ इज नॉट एनफ’ में कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेताओं पर निशाना साधा था। उन्होंने लिखा था कि पीएमओ की जरूरी फाइलें रोजाना सोनिया गांधी के पास जाती थी।
हालांकि, 2018 में सोनिया गांधी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि मुझे पता था कि मनमोहन सिंह मुझसे बेहतर प्रधानमंत्री बनेंगे, इसलिए मैं नहीं बनी। उन्होंने ये भी कहा कि मुझे अपनी सीमाएं पता हैं और मैं उसका पालन करती हूं।
भाजपा ने क्यों याद दिलाया पीवी नरसिम्हा राव का किस्सा?
भाजपा ने कहा कि हमारी सरकार पर मनमोहन सिंह का अपमान का आरोप लगाया गया है, लेकिन हमने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सम्मान दिया है। सुधांशु ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा केवल नेहरू गांधी परिवार के पीएम को सम्मान दिया। यही कारण है कि पीवी नरसिम्हा राव का भी अपमान किया गया।
बता दें कि गांधी परिवार और कांग्रेस पर ये आरोप लगते रहे हैं कि 2004 में पीवी नरसिम्हा राव के निधन के बाद कांग्रेस ने उनका अंतिम संस्कार दिल्ली में नहीं होने दिया था।
संजय बारू की किताब ‘हाऊ पीवी नरसिम्हा राव मेड हिस्ट्री’ में भी इस बात का जिक्र है कि 23 दिसंबर 2004 को नरसिम्हा राव के निधन के बाद उनका पार्थिव शरीर आधे घंटे तक कांग्रेस मुख्यालय के बाहर पड़ा रहा, लेकिन किसी ने गेट नहीं खोला। सोनिया गांधी और अन्य कांग्रेसी नेताओं ने उन्हें बाहर आकर श्रद्धांजलि तो दी, लेकिन पार्थिव शरीर हैदराबाद में उनके जन्मस्थल भेज दिया गया।
भाजपा बोली हमने दिया नरसिम्हा राव को सम्मान
भाजपा ने कहा कि हमने ही पूर्व पीएम नरसिम्हा राव को सम्मान दिया। 2015 में NDA की सत्ता आने के बाद पीएम मोदी ने ही पीवी नरसिम्हा राव का स्मारक बनवाया था। निधन के 10 साल बाद एकता स्थल समाधि के नाम से नरसिम्हा राव का स्मारक बनाया गया। इसके बाद 2024 में पीवी नरसिम्हा राव को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
किन नेताओं की बनाई जाती है समाधि?
जिन नेताओं ने देश के लिए ऐतिहासिक योगदान दिया होता है उनकी ही समाधि बनाई जाती है। जिस तरह पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने देश को परमाणु हथियार संपन्न बनाने समेत कई काम किए उसी तरह मनमोहन सिंह ने 1992 में देश को आर्थिक तंगी से बाहर निकाला था। इसलिए वाजपेयी की समाधि बनी थी और मनमोहन सिंह की समाधि बनाई जाएगी।
इन लोगों की बनती है समाधि
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- भारत के उप प्रधानमंत्री
- अन्य ऐतिहासिक योगदान वाले व्यक्ति
क्या है प्रोटोकॉल?
यहां बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्रियों और अन्य किसी विशेष व्यक्ति के लिए समाधि बनाने को लेकर देश में कोई खास कानून नहीं है। हालांकि, इससे जुड़े कई दिशा-निर्देश और प्रथाएं हैं, जो केवल केंद्र सरकार तय करती है। पूर्व प्रधानमंत्रियों या अन्य नेताओं की समाधि को बनाना और उसके रखरखाव की जिम्मेदारी भारत सरकार की होती है।
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