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    'खाने के लिए नहीं बचते थे पैसे, चॉकलेट खाकर बिताते थे पूरा दिन', मनमोहन सिंह की बेटी ने बताया इंग्लैंड का किस्सा

    Updated: Sat, 28 Dec 2024 11:37 AM (IST)

    भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे। उनके निधन पर भारत ही नहीं पूरी दुनिया ने दुख जताया है। उनके कैम्ब्रिज में पढ़ाई के दौरान का किस्सा उनकी बेटी दमन सिंह की किताब में मिलता है। इसमें दमन लिखती हैं कि पढ़ाई के दौरान कई बार उन्हें पैसे बचाने के लिए खाना छोड़ना पड़ जाता था।

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    मनमोहन सिंह ने कैम्ब्रिज से 1957 में इकोनॉमिक्स में ऑनर्स किया था (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। डॉ. मनमोहन सिंह जब इंग्लैंड में पढ़ाई कर रहे थे, तब वह स्कॉलरशिप के पैसों पर निर्भर थे। तंगी इतनी थी कि उनके पास खाने तक के पैसे नहीं बचते थे। कई बार उन्हें एक चॉकलेट खाकर पूरा दिन बिताना पड़ता था।

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    ये बातें मनमोहन सिंह की बेटी दमन सिंह ने अपनी किताब 'Strictly Personal: Manmohan and Gursharan' में लिखी है। ये किताब हार्परकोलिंस से 2014 में पब्लिश हुई थी। किताब ने दमन सिंह ने अपने माता-पिता की जिंदगी के बारे में लिखा है।

    कैम्ब्रिज से इकोनॉमिक्स में ऑनर्स किया

    • मनमोहन सिंह ने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से 1957 में इकोनॉमिक्स में ऑनर्स किया था। वह प्रथम श्रेणी में पास हुए थे। दमन सिंह ने लिखा है कि उनके पिता अक्सर अपने शुरुआती दिनों की बात करते थे कि कैसे गांव में जीवन काफी कठिन था।
    • मनमोहन सिंह का जन्म पंजाब प्रांत के गाह में हुआ था। ये जगह अब पाकिस्तान में पड़ती है। दमन सिंह लिखती हैं, 'एक बार मेरी बहन किकी ने उनसे पूछा था कि क्या वह कभी गाह वापस जाना चाहेंगे? इस पर उन्होंने कहा था कि कभी नहीं क्योंकि वहां मेरे दादा को मार दिया गया था।'

    रहने में आता था ज्यादा खर्च

    मनमोहन सिंह कैम्ब्रिज गए थे, तब उन्हें पंजाब यूनिवर्सिटी से स्कॉलरशिप के लिए महज 160 पाउंड मिलते थे। जबकि वहां रहने का सालाना खर्च 600 पाउंड आता था। वह लिखती हैं, 'बाकी के पैसों के लिए वह अपने पिता पर निर्भर थे। मनमोहन सिंह काफी सावधानी बरतते थे।'

    उन्हें डाइनिंग हॉल में सब्सिडी वाला खाना मिलता था। यह बाहर मिलने वाले खाने के मुकाबले काफी सस्ता था। मनमोहन सिंह ने इस वजह से कभी बाहर खाना नहीं खाया। कभी-कभार ही उन्होंने वाइन या बीयर का सेवन किया था।

    खाना छोड़ देते थे मनमोहन

    दमन लिखती हैं, 'कभी जब घर से पैसे आने में देर हो जाती थी या फिर वह पैसे कम पड़ जाते थे, तो खाना छोड़ देते थे। इसके बदले वह कैडबरी की चॉकलेट खा लेते थे। उन्होंने अपने पूरे जीवन में कभी किसी से उधार नहीं लिया।'

    पहले साल की परीक्षा का जब रिजल्ट घोषित हुआ, तब मनमोहन सिंह उसमें प्रथम श्रेणी में पास हुए। उन्होंने अपने करीबी दोस्त मदन लाल को पत्र लिखकर कहा, 'मुझे लगता है कि मुझे 20 पाउंड का इनाम मिलेगा। अगर मैं दबाव बनाऊं, तो छात्रवृत्ति भी मिल सकती है। लेकिन मैं इतना लालची नहीं हूं। मैं अगले साल तक इंतजार करूंगा।'

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