Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Manipur violence: हिंसा से अछूते क्षेत्रों में इंटरनेट, मोबाइल सेवा बहाल करे सरकार, मणिपुर हाईकोर्ट का निर्देश

    By Jagran NewsEdited By: Siddharth Chaurasiya
    Updated: Tue, 07 Nov 2023 01:36 PM (IST)

    मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को परीक्षण के आधार पर मोबाइल टावरों को चालू करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार ऐसे सभी जिला मुख्यालयों में लगे मोबाइल टावरों को चालू करे जो जातीय हिंसा से प्रभावित नहीं है। यह निर्देश मणिपुर सरकार द्वारा राज्य में मोबाइल इंटरनेट प्रतिबंध को 8 नवंबर तक बढ़ाए जाने के बाद आया है।

    Hero Image
    मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को परीक्षण के आधार पर मोबाइल टावरों को चालू करने का निर्देश दिया है।

    पीटीआई, इंफाल। मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को परीक्षण के आधार पर मोबाइल टावरों को चालू करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार ऐसे सभी जिला मुख्यालयों में लगे मोबाइल टावरों को चालू करे जो जातीय हिंसा से प्रभावित नहीं है। यह निर्देश मणिपुर सरकार द्वारा राज्य में मोबाइल इंटरनेट प्रतिबंध को 8 नवंबर तक बढ़ाए जाने के बाद आया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मुख्य न्यायाधीश सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति गोलमेई गाइफुलशिलु काबुई की खंडपीठ द्वारा जारी एक आदेश में राज्य से "उन क्षेत्रों में सेवाएं बढ़ाने" को कहा गया जो हिंसा से अप्रभावित थे। अदालत ने राज्य से मोबाइल इंटरनेट डेटा सेवाओं को निलंबित करने या उन पर अंकुश लगाने के संबंध में जारी सभी आदेशों की प्रतियां अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड करने को भी कहा है।

    मामले की अनुपालना के लिए अगली सुनवाई 9 नवंबर को तय की गई है। बता दें कि सितंबर में कुछ दिनों को छोड़कर, मणिपुर में 3 मई से जातीय झड़पें होने के बाद से मोबाइल इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा हुआ है। अभी हाल ही में एक भीड़ ने यहां मणिपुर राइफल्स के शिविर पर हमला कर सभी शस्त्रागार को लूटने का प्रयास किया था, जिसके बाद सुरक्षाकर्मियों को हवा में कई राउंड गोलियां चलानी पड़ी थीं।

    यह भी पढ़ें: IPC 144 vs CrPC 144: जानिए IPC की धारा 144 और CrPC की धारा 144 में क्या है अंतर, यहां पढ़ें सभी सवालों के जवाब

    राज्य सरकार द्वारा इंटरनेट प्रतिबंध को इस आशंका के बाद बढ़ाया गया था कि "असामाजिक तत्व नफरत भरे भाषणों और नफरत भरे वीडियो को वायरल करने के लिए बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर सकते हैं,जिससे जनता की भावनाओं को भड़काया जा सकता है। इसके साथ ही राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर असर पड़ सकता है।

    पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा ने दस जिलों को प्रभावित किया है। मणिपुर में 4 मई से लगभग दो महीने के लिए ब्रॉडबैंड सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसके बाद जुलाई के मध्य से आंशिक रूप से सेवाएं उपलब्ध कराई गईं।

    मई में पहली बार जातीय हिंसा भड़कने के बाद से मणिपुर बार-बार होने वाली हिंसा की चपेट में है। तब से अब तक 180 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। झड़पें दोनों पक्षों की एक-दूसरे के खिलाफ कई शिकायतों को लेकर हुई हैं। हालांकि, मणिपुर तनाव का मुख्य बिंदु मेइतीस को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिलाना रहा है, जिसे बाद में वापस ले लिया गया है और यहां रहने वाले आदिवासियों को बाहर करने का प्रयास किया गया है।

    मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

    यह भी पढ़ें: Supreme Court: स्कूलों में फ्री सैनेटरी नैपकिन बांटने की नीति तैयार, कोर्ट ने कहा- राष्ट्रीय मॉडल सुनिश्चित करें सरकार