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    जब आला हजरत के मुरीद हुए नेल्सन मंडेला

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    Updated: Fri, 06 Dec 2013 09:13 PM (IST)

    बरेली, वसीम अख्तर। दुनियाभर में नस्लभेद आंदोलन का मजबूत स्तंभ कहे जाने वाले नेल्सन मंडेला का बरेली से अकीदत का रिश्ता रहा है। चौदह साल पहले उन्हीं की बदौलत आला हजरत इमाम अहमद रजा खां की किताब फतावा-ए-रजविया को अहम पहचान मिली। इसे मुसलमानों के शरीयत से जुड़े फैसलों के लिए साउथ अफ्रीका की सुप्रीम कोर्ट में जगह दी गई। तब से वहां के मुि

    बरेली, वसीम अख्तर। दुनियाभर में नस्लभेद आंदोलन का मजबूत स्तंभ कहे जाने वाले नेल्सन मंडेला का बरेली से अकीदत का रिश्ता रहा है। चौदह साल पहले उन्हीं की बदौलत आला हजरत इमाम अहमद रजा खां की किताब फतावा-ए-रजविया को अहम पहचान मिली। इसे मुसलमानों के शरीयत से जुड़े फैसलों के लिए साउथ अफ्रीका की सुप्रीम कोर्ट में जगह दी गई। तब से वहां के मुस्लिमों में तलाक और बंटवारे आदि के मसले इसी किताब की बुनियाद पर हल हो रहे हैं।

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    साउथ अफ्रीका का बरेली से रूहानी रिश्ता रहा है। यह रिश्ता उस वक्त और मजबूती से जुड़ गया, जब रंगभेद खत्म होने के बाद जेल से रिहा होकर नेल्सन मंडेला साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति बने। तब उनसे डरबन में रहने वाले आला हजरत के साहबजादे मुफ्ती-ए-आजम हिंद के मुरीद मौलाना अब्दुल हादी ने उलमा के साथ मुलाकात की। उन्हें फतावा-ए-रजवियाका अंग्रेजी अनुवाद सौंपा। यह भी बताया कि अब से पहले सुप्रीम कोर्ट के एक-दो फैसलों में इस किताब को कोड किया जा चुका है। तब नेल्सन मंडेला ने फतावा-ए-रजविया के अंग्रेजी अनुवाद को पढ़ा और वह आला हजरत की लेखनी के कायल हो गए। सुबूत बतौर उन्होंने फतावा रजविया को साउथ अफ्रीकी सुप्रीम कोर्ट मे रखने का हुक्म जारी कर दिया। उस पर अमल भी हुआ।

    डरबन निवासी मुफ्ती-ए-आजम हिंद के खलीफा मौलाना अब्दुल हमीद इन दिनों उर्स में शामिल होने बरेली आए हुए हैं। वह बताते हैं-तब से साउथ अफ्रीका सुप्रीम कोर्ट में मुसलमानों से जुड़े मामले पेश होने पर फतावा-ए-रजविया के अंग्रेजी अनुवाद को पढ़ने के बाद हल निकाला जाता है।

    यह है फतावा-ए-रजविया

    इसे फिकहे हनफी के इनसाइक्लोपीडिया के नाम से जाना जाता है। इस किताब में आला हजरत ने उन सवालों का जवाब दिया है, जिसका ताल्लुक कुरान पाक व नबी ए-करीम की जिंदगी से है। कुल 5284 फतवे बारह जिल्दों में हैं। पांचवीं जिल्द में 954 फतवों के जवाब के अलावा हजारों शोधपत्र पेश किए है। इसी में निकाह, तलाक, ईमान आदि का जिक्र है।

    मुसलमानों में अहम मकाम

    फतावा-ए-रजविया दुनियाभर के मुसलमानों में अहम मकाम रखती है। नेल्सन मंडेला ने उसी से मुतासिर (प्रभावित) होकर साउथ अफ्रीकी सुप्रीम कोर्ट में इस किताब को जगह दिलाई। उनका यह फैसला काबिले तारीफ है।

    - मौलाना सुब्हान रजा खां, सुब्हानी मियां, सज्जादानशीन, दरगाह आला हजरत

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