चीन के साथ डोकलाम विवाद के बाद ITBP ने लिया यह बड़ा फैसला
पिछले ढाई महीने से सिक्किम से लगी सीमा पर डोकलाम को लेकर भारत और चीन के बीच जारी गतिरोध खत्म हो गया है। मगर आईटीबीपी ने यह फैसला लिया है।
नई दिल्ली। सीमा पर तैनात आईटीबीपी के जवानों के लिए चीनी भाषा सीखना अनिवार्य कर दिया गया है। चीन के साथ डोकलाम विवाद के बाद आईटीबीपी ने नए जवानों के लिए मंदारिन भाषा सीखना अनिवार्य करने का फैसला किया है। ताकि वे चीनी सैनिकों की बातों को सही से समझ सकें। उन्हें तिब्बत में बोली जाने वाली भाषा भी आनी चाहिए, जो मंदारिन का ही एक वर्जन है।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, आईटीबीपी के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि इस साल से नए जवानों की एक साल की ट्रेनिंग में चीनी भाषा सीखने को भी शामिल कर दिया गया है। अधिकारी ने कहा कि हम चीन से लगी सीमा पर तैनात होने वाले बल हैं। इसलिए हर जवान को चीनी भाषा के बारे में जानना चाहिए। हम नियमित रूप से चीनी सैनिकों के साथ बातचीत करते हैं। उनकी भाषा के बारे में अच्छी जानकारी होने से गलतफहमी नहीं होगी और टकराव का बेहतर समाधान भी निकाला जा सकता है।
सूत्रों के मुताबिक, आईटीबीपी ने इस मकसद से पहले ही मसूरी स्थित अपने प्रशिक्षण संस्थान में 12 शिक्षकों की भर्ती कर ली है। मौजूदा समय में आईटीबीपी में शामिल 90,000 अधिकारियों व जवानों में से सिर्फ 150 को चीनी भाषा आती है।
आपको बता दें कि पिछले ढाई महीने से सिक्किम से लगी सीमा पर डोकलाम को लेकर भारत और चीन के बीच जारी गतिरोध खत्म हो गया है। दोनों देशों ने सोमवार को फैसला किया कि वे अपने सैनिकों को सीमा से धीरे-धीरे पीछे हटाएंगे। इस गतिरोध की शुरुआत तब हुई थी, जब चीन ने भारतीय जवानाें पर सीमा पार करने और डोकलाम क्षेत्र में एक सड़क निर्माण के काम में बाधा डालने का आरोप लगाया था। हालांकि भारत का कहना था कि वह भूटान के क्षेत्र में सड़क निर्माण कर रहा है, जो कि गलत है।
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