सीमा शुल्क सिस्टम में होगा बड़ा बदलाव, वित्त मंत्री ने दिए बड़े संकेत; बजट में घोषणा की उम्मीद
इनकम टैक्स और जीएसटी के बाद, सरकार सीमा शुल्क प्रणाली में बड़े बदलाव की तैयारी में है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसके संकेत दिए और आगामी बजट में ...और पढ़ें

सीमा शुल्क सिस्टम में होगा बड़ा बदलाव (फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। इनकम टैक्स व जीएसटी में बदलाव के बाद सरकार सीमा शुल्क (कस्टम) प्रणाली में बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है। शनिवार को आयोजित एक कार्यक्रम में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे लेकर साफ संकेत दिए।
बहुत मुमकिन है कि आगामी फरवरी में पेश होने वाले बजट में सीमा शुल्क प्रणाली में बदलाव को लेकर कोई बड़ी घोषणा हो जाए। उन्होंने यह भी कहा कि चालू वित्त वर्ष 2025-26 में अर्थव्यवस्था की विकास दर सात प्रतिशत या इससे अधिक रह सकती है।वित्त मंत्री ने साफ कहा कि सीमा शुल्क के फ्रेमवर्क को बदलने का काम बाकी है और यह हमारा अगला लक्ष्य है। हमें सरल व पारदर्शी सीमा शुल्क प्रणाली की जरूरत है।
हालांकि हम विश्व सीमा शुल्क संगठन की तरफ से तय नियमों के मुताबिक ही काम कर रहे हैं। फिर भी, हम इसमें और सुधार चाहते हैं जैसा कि हमने इनकम टैक्स की प्रशासनिक व्यवस्था को लेकर किया है। उन्होंने कहा कि इनकम टैक्स की दर में लोग कटौती तो चाहते थे, लेकिन टैक्स की प्रशासनिक व्यवस्था व कामकाज को लेकर लोग उसकी आलोचना करते थे।
वैसे ही, हम सीमा शुल्क से जुड़े कामकाज में बदलाव लाना चाहते हैं। यहां भी हम हाथ से सामान की होने वाली चेकिंग और कर्मचारियों के साथ फिजिकल सामना को कम करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में कई वस्तुओं के सीमा शुल्क को कम किया गया है। जरूरत के मुताबिक अन्य प्रकार की वस्तुओं के सीमा शुल्क में भी कमी लाई जा सकती है। अभी कई बार पोर्ट पर सामान की सैंपल चेकिंग के दौरान जरा भी ऊंच-नीच होने पर कारोबारियों का माल फंस जाता है जिसे छुड़ाने में उन्हें काफी दिक्कत होती है।
वित्त मंत्री ने कहा- राजनीति प्रतिस्पर्धा के कारण मुफ्त की रेवड़ी
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि मुफ्त की रेवड़ी राजनीति प्रतिस्पर्धा का नतीजा है। मतलब एक राजनीतिक पार्टी चुनाव में विभिन्न प्रकारी की रेवड़ी की घोषणा करती है तो चुनाव जीतने के लिए दूसरी पार्टी के लिए भी इस प्रकारकी घोषणा उनके लिए मजबूरी बन जाती है।
उन्होंने कहा कि वे राज्यों को इसे समाप्त करने के लिए नहीं कह सकती है, लेकिन राज्यों की वित्तीय व्यवस्था को दुरुस्त करने में केंद्र उनकी मदद कर सकता है ताकि उनके लोन को रिस्ट्रक्चर किया जा सके। कई राज्य इस काम में केंद्र का सहयोग ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि सभी सरकार लोन लेती है और सरकार चलाने के लिए लोन लेना पड़ता है। लेकिन सबसे बुरा होता है पुराने लोन के भुगतान के लिए नया लोन लेना। मुफ्त की रेवड़ी के कारण कई राज्यों पर काफी अधिक वित्तीय दबाव आ गया है।

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