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    पुलिसकर्मियों पर झूठे आरोप मढ़ने के मामले में मद्रास हाईकोर्ट सख्त, याचिकाकर्ता पर लगाया 35 हजार का जुर्माना

    By AgencyEdited By: Amit Singh
    Updated: Wed, 23 Nov 2022 06:41 PM (IST)

    मद्रास हाईकोर्ट ने पुलिसकर्मियों पर झूठे आरोप लगाने के लिए दो याचिकाकर्ताओं पर 35 हजार रुपये जुर्माना लगाया है। कोर्ट के जज एस एम सुब्रमण्यम ने पिछले हफ्ते एम कला और ए मुथुकुमार पर यह जुर्माना लगाया था।

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    पुलिसकर्मियों पर झूठे आरोप को लेकर मद्रास हाईकोर्ट सख्त

    चेन्नई, पीटीआई: मद्रास हाईकोर्ट ने पुलिसकर्मियों पर झूठे आरोप लगाने के लिए दो याचिकाकर्ताओं पर 35हजार रुपये जुर्माना लगाया है। कोर्ट के जज एस एम सुब्रमण्यम ने पिछले हफ्ते एम कला और ए मुथुकुमार पर यह जुर्माना लगाया था। न्यायाधीश ने ग्रेटर चेन्नई पुलिस आयुक्त को उन सात पुलिस कर्मियों को 5,000 रुपये की दर से राशि वितरित करने का निर्देश दिया, जिनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से सातों पुलिसकर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की मांग की थी।

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    पुलिसकर्मियों पर आरोप मढ़ने की प्रवृत्ति बढ़ी

    मामले में टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि आरोपियों द्वारा पुलिसकर्मियों पर आरोप लगाने की बढ़ती प्रवृत्ति को अदालतों द्वारा बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। हाल के दिनों में पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अनावश्यक रूप से बिना किसी सबूत के रिट याचिका दायर करने की प्रथा बढ़ रही है। मामले में पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक याचिकाकर्ता अवैध तरीके से अनाथालय चला रहे थे। जिसको लेकर उनके खिलाफ कार्रवाई की गई थी। पुलिस ने एक बच्चे की गुमशुदगी की शिकायत पर कार्रवाई शुरू करते हुए उसे बंदी प्रत्यक्षीकरण कार्यवाही के तहत छुड़ाकर उसकी मां को सौंप दिया था। इसके बावजूद, सात पुलिसकर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने के लिए वर्तमान याचिका दायर की गई थी।

    झूठे आरोप लगाकर कोर्ट का सहारा लेते हैं आरोपी

    मामले में न्यायाधीश ने कहा कि, जब भी पुलिस अधिकारी कानून के तहत कार्रवाई शुरू करते हैं। तो अपराधी उनके खिलाफ झूठे आरोपों के साथ रिट याचिका दायर कर रहे हैं। ऐसे में आरोप झूठे पाए जाते हैं या सिद्ध नहीं होते हैं तो गंभीर कार्रवाई का की जानी चाहिए। जिसके चलते कोर्ट का मानना है कि मौजूदा रिट याचिका बिना किसी औचित्य के दायर की गई है। जिसके चलते इस मामले में जुर्माना लगाकर कोर्ट उचित उदाहरण स्थापित करना चाहती है।

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