रेलवे के प्लास्टिक उपयोग पर मद्रास हाई कोर्ट खफा, वंदे भारत ट्रेनों में इस्तेमाल पर भी जताई चिंता
जस्टिस एस. वैद्यनाथन और जस्टिस पीटी आशा की खंडपीठ ने प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध के खिलाफ तमिलनाडु की पोंडी प्लास्टिस एसोसिएशन द्वारा दायर समीक्षा याचिका पर अंतरिम आदेश देते हुए यह निर्देश दिए। खंडपीठ ने कहा कि हमें सूचित किया गया है कि अभी हाल ही में नई शुरू वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों में भी प्लास्टिक का उपयोग उच्च स्तर पर है।

चेन्नई, पीटीआई। मद्रास हाई कोर्ट ने रेलवे द्वारा पानी की प्लास्टिक बोतलों के उपयोग पर असंतोष व्यक्त किया। कोर्ट ने कहा कि रेलवे का यह कदम प्लास्टिक के निर्माण को बढ़ावा दे रहा है। हाई कोर्ट की पीठ ने रेलवे को ट्रेन में प्लास्टिक के उपयोग को रोकने के लिए लिए गए निर्णयों की रिपोर्ट जमा कराने को कहा।
जस्टिस एस. वैद्यनाथन और जस्टिस पीटी आशा की खंडपीठ ने प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध के खिलाफ तमिलनाडु की पोंडी प्लास्टिस एसोसिएशन द्वारा दायर समीक्षा याचिका पर अंतरिम आदेश देते हुए यह निर्देश दिए। खंडपीठ ने कहा कि हमें सूचित किया गया है कि अभी हाल ही में नई शुरू वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों में भी प्लास्टिक का उपयोग उच्च स्तर पर है।
नियमों के उल्लंघन पर सील होगी दुकान
खंडपीठ ने कहा कि यदि कोई दुकानदार सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग करता पाया जाता है तो पहली बार जुर्माना लगाया जाता है। इसके बाद भी नियमों का उल्लंघन करने पर दुकान को सील किया जा सकता है और कोई नवीनीकरण नहीं हो सकता है। खंडपीठ ने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार, प्रतिवर्ष 43 करोड़ टन से अधिक प्लास्टिक का उत्पादन किया जाता था और इसमें से दो तिहाई एक बार उपयोग के बाद कचरे में फेंक दी जाती थी।
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वंदे भारत में भी खूब हो रहा प्लास्टिक का इस्तेमाल
पीठ ने कहा कि रेलवे प्लास्टिक के निर्माण को बढ़ावा दे रहा है। खंडपीठ ने वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों में भी प्लास्टिक के उपयोग को लेकर चिंता जताई। पीठ ने ट्रेनों में प्लास्टिक के उपयोग को खत्म करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में स्थिति रिपोर्ट दायर करने के लिए रेलवे को निर्देश भी दिए। इस मामले में अगली सुनवाई नौ अक्टूबर को होगी।

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