कभी जंगल में दहाड़ से डरती थीं, अब पर्यटकों को दिखाती हैं बाघ
डर के आगे जीत की कहानी है मध्य प्रदेश के बालाघाट स्थिति कान्हा पार्क के जंगल में बसे वन ग्राम मुक्की की 20 साल की नीता मरकाम की। ...और पढ़ें

बालाघाट (श्रवण शर्मा)। जब वह लकड़ी बीनने जाती तो दुआ यही करती थी कि बाघ न दिखे। बचपन में बाघ की दहाड़ पर वह मां से लिपट जाती थी। लेकिन अब उसी दहाड़ के लिए गाड़ी का ब्रेक लगा देती हैं। डर के आगे जीत की कहानी है मध्य प्रदेश के बालाघाट स्थित कान्हा पार्क के जंगल में बसे वन ग्राम मुक्की की 20 साल की नीता मरकाम की। कान्हा टाइगर रिजर्व पार्क में मुक्की का नाम सभी जानते हैं। पार्क का यह वह क्षेत्र है जहां सफारी करने वाले टाइगर को निहारते हैं। नीता की तरह माधुरी ठाकुर भी पार्क केदुर्गम रास्तों में जिप्सी चलाकर पर्यटकों को कान्हा की सैर करा रही हैं।
पर्यटकों को दिखाती हैं बाघ नीता संघर्ष से बनी मां का सहारा
नीता मरकाम संघर्ष और हौसले के बूते अपनी मां का सहारा बन गई है। उसकी परवरिश उसकी मां ने मेहनत मजदूरी कर की है। 12 वीं तक शिक्षा हासिल करने के बाद नीता आगे पढ़ाई नहीं कर पा रही थी। लेकिन वह मां का सहारा बनना चाहती थी। इधर, पार्क प्रबंधन महिला गाइड के बाद महिलाओं को जिप्सी चलाने की ट्रेनिंग दिलाने की योजना बना चुका था। लेकिन समस्या यह थी कि पिछड़ा इलाका होने की वजह से कोई परिवार अपनी लड़की को ड्राइविंग सिखाने के बारे में सोच भी नहीं सकता था। नीता ने अपने कदम आगे बढ़ाए और उसने ड्राइविंग की ट्रेनिंग ले ली और वह आत्मनिर्भर बन गई है।

माधुरी कभी सैर करने जाती थी, अब खुद करा रही सैर
वन ग्राम मुक्की की ही माधुरी ठाकुर कभी अपने परिजनों के साथ पार्क की सैर करने जाती थीं। अब वह खुद ड्राइविंग सीखकर पर्यटकों को सैर करा रही हैं। उनके पिता गुलजार सिंह ठाकुर मुक्की गेट से पार्क में आने वाली गाड़ियों की एंट्री किया करते हैं। माधुरी बताती हैं कि उन्होंने इसी वर्ष 12 की परीक्षा पास की है। ज्यादा पढ़ाई के अवसर उनके आसपास वन ग्राम में नहीं है, जिसके चलते वह ड्राइविंग सीखकर पार्क में जिप्सी चला रही हैं।

महिला पर्यटकों को होगी सहूलियत
पार्क प्रबंधन का मानना है कि महिला गाइड और चालकों के साथ कान्हा की सैर करने में महिला पर्यटकों को सहूलियत होगी। संवाद में सरलता होगी। साथ ही उनमें सुरक्षा का भी भाव होगा। कई महत्वपूर्ण वन्य प्राणियों से जुड़ी जानकारियां महिला गाइड और चालक महिला पर्यटकों को बेझिझक दे सकेंगी।
महिला सशक्तिकरण के लिए प्रयोग
पांच महिलाओं को ट्रेनिंग देकर पहले बनाया गाइड।
पांच बालिकाओं को ट्रेनिंग देकर जिप्सी चालक बनाया।
एक माह छिंदवाड़ा में बालिकाओं ने ली ड्राइविंग की ट्रेनिंग।
तीन दिन कान्हा के मुक्की गेट में जिप्सी से की लर्निंग ड्राइव।
हर रोज पर्यटकों को करा रही हैं कान्हा की सैर।
अब 200 रुपए रोजाना कमा कर रही दोनों बनी आत्म निर्भर।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी लगातार पार्क प्रबंधन काम कर रहा है। इसी कड़ी में बालिकाओं को ट्रेनिंग दी गई है। अब पार्क में महिला गाइडों के साथ ही महिला चालक भी महिला पर्यटकों को सैर करा रही हैं। इससे न केवल महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी, बल्कि महिला पर्यटकों को भी सहूलियत होगी।
-संजय शुक्ला, डायरेक्टर कान्हा पार्क
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