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    ये है देश का पहला ऑटोमेटिक वर्मी कंपोस्ट प्लांट

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Mon, 18 Dec 2017 11:29 AM (IST)

    कर्ण जैविक घी और शहद का उत्पादन भी कर रहे हैं, जिसकी सिंगापुर व अमेरिका जैसे देशों में खूब मांग है। ...और पढ़ें

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    ये है देश का पहला ऑटोमेटिक वर्मी कंपोस्ट प्लांट

    कुरुक्षेत्र (वेदपाल)। नाम, कर्ण सीकरी। काम, साधारण से असाधारण बनने की सच्ची कहानी के मुख्य नायक। इसके लिए उन्होंने क्या नहीं किया? घर से दूर जाकर खेती करने का साहस। साथ में पढ़ाई और खेती में नए प्रयोग करने का खतरा उठाया। परिणाम, जैविक खेती में सफलता की मिसाल बने। ऑस्ट्रेलिया, इजरायल और यूरोप का दौरा कर नई तकनीक का प्रयोग किया। देश का पहला ऑटोमैटिक वर्मी कंपोस्ट प्लांट लगाया। आज उनका फार्म हाउस देखने दुनियाभर से लोग आ रहे हैं। 

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    दिल्ली में पढ़े-लिखे कर्ण सीकरी ने 2004 में कुरुक्षेत्र जिले (हरियाणा) के शाहाबाद क्षेत्र स्थित गांव डंगाली में पुश्तैनी जमीन में खेती शुरू की। 20 एकड़ में गन्ना, फूल व सब्जी में नए प्रयोग किए, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। उन्होंने हौसला नहीं छोड़ा। ग्रेजुएशन और एमबीए की पढ़ाई के साथ खेती में प्रयोग जारी रहा। कर्ण ने वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने का काम शुरू किया। 

     

    देश का पहला ऑटोमेटिक वर्मी कंपोस्ट खाद प्लांट लगाया। शार्टिंग, ग्रेडिंग, पैकिंग व लोडिंग सबकुछ स्वत: होती है। केचुएं के लिए ऑटोमैटिक फॉगिंग होती है। चार करोड़ का यह प्रोजेक्ट पांच एकड़ जमीन में है। वह बताते हैं कि विश्व की सबसे अच्छी तकनीकी से जैविक खाद बनाई जा रही है।

     

    जैविक घी व शहद के विदेशी भी मुरीद 

    कर्ण जैविक घी और शहद का उत्पादन भी कर रहे हैं, जिसकी सिंगापुर व अमेरिका जैसे देशों में खूब मांग है।

    गन्ने की नई किस्म इजाद की

    कर्ण ने कृषि क्षेत्र में नई तकनीक की खोज की। गन्ने की एस-1 और एस-2 नई किस्म का इजाद किया। इस किस्म को लगाने वाले किसानों ने अपनी फसल को दोगुना किया है। कर्ण का प्रयास है कि फार्म हाउस को टूरिस्ट स्पॉट के रूप में विकसित किया जाए, ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर के किसान आएं और खेती की नई तकनीकी सीखें। अभी भी हर साल करीब 400 किसान फार्म हाउस का दौरा कर रहे हैं।

     

    पत्नी ने छोड़ी बैंक की नौकरी 

    खेती में कर्ण का साथ देने के लिए पत्नी यशिका ने बैंक मैनेजर की नौकरी छोड़ दी। यशिका दिल्ली छोड़कर सीकरी फार्म हाऊस में मार्केटिंग और फाइनेंस का काम देखती हैं। कर्ण मानते हैं कि उन जैसे साधारण युवक को प्रगतिशील किसान बनाने का सारा श्रेय प्रदेश सरकार को जाता है। उन्होंने एचटीआइ उचानी और कृषि विज्ञान केंद्र कुरुक्षेत्र से मधुमक्खी पालन, जैविक खेती, डेयरी फार्मिंग, केंचुआ खाद आदि बनाने का प्रशिक्षण लिया। 

     

    मिल चुका राष्ट्रीय अवार्ड

    2017 में 16 जुलाई को जैविक खाद तैयार करने पर केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन ने कर्ण को जगजीवन राम किसान अभिनव राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा। प्रदेश सरकार की ओर से सर्वोत्तम कृषक बागवानी पुरस्कार 2005 में दिया गया। हिसार में 2007 में राज्य सरकार ने अच्छी गुणवत्ता के लिए प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया। हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर सरकार की तरफ से भी अच्छी जैविक खाद के लिए उन्हें सम्मानित किया जा चुका है। 

     

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