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Collegium Row: पहले भेजे गए नामों को रोके रखने से वरिष्ठता के नुकसान पर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जताई चिंता

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने वेबसाइट पर जारी ब्योरे में सरकार से पूर्व में भेजे गए नामों की नियुक्ति में जल्दी करने पर जोर दिया है। साथ ही कॉलेजियम ने चार जिला न्यायाधीशों को मद्रास हाई कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त करने की नई सिफारिश भी सरकार को भेजी है।

By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaPublished: Wed, 22 Mar 2023 09:45 PM (IST)Updated: Wed, 22 Mar 2023 09:45 PM (IST)
Collegium Row: पहले भेजे गए नामों को रोके रखने से वरिष्ठता के नुकसान पर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जताई चिंता
पहले भेजे गए नामों को रोके रखने से वरिष्ठता के नुकसान पर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जताई चिंता

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर कॉलेजियम और सरकार के बीच चल रहा विवाद थमता नहीं दिख रहा है। सुप्रीम कॉलेजियम का रोष और ऐतराज फिर से खुल कर सामने आया है।

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कॉलेजियम ने कहा है कि पहले संस्तुत नामों को रोकने से वरिष्ठता को होने वाला नुकसान गंभीर चिंता का विषय है। कॉलेजियम ने इस संबंध में मद्रास हाई कोर्ट में नियुक्ति के लिए पूर्व की गई वकील रामास्वामी नीलकंदन और दोहराए जा चुके वकील आर जान सत्यन के नाम का जिक्र किया है।

कॉलेजियम ने सरकार से नियुक्ति जल्दी करने पर दिया जोर

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने वेबसाइट पर जारी ब्योरे में सरकार से पूर्व में भेजे गए नामों की नियुक्ति में जल्दी करने पर जोर दिया है। इसके साथ ही कॉलेजियम ने चार जिला न्यायाधीशों को मद्रास हाई कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त करने की नई सिफारिश भी सरकार को भेजी है। इतना ही नहीं एक अलग संस्तुति में वरिष्ठ वकील हरप्रीत सिंह बरार को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त करने की अपनी सिफारिश कॉलेजियम ने फिर दोहराई है।

न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर काफी समय से सरकार और न्यायपालिका के बीच विवाद चल रहा है। न्यायाधीशों की नियुक्ति की लागू व्यवस्था में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम सिफारिश करती है और सरकार को संस्तुत किये गए नाम की नियुक्ति करनी होती है, लेकिन कई बार सरकार कॉलेजियम को सिफारिश पुनर्विचार के लिए वापस भेज देती है।

वापस आयी संस्तुति पर नये सिरे से विचार करती है कॉलेजियम

कॉलेजियम वापस आयी संस्तुति पर सरकार द्वारा उठाई गई आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए नये सिरे से विचार करती है और कई मामलों में कॉलेजियम ने सरकार की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए अपनी सिफारिशें दोहराई भी हैं। इसी में एक नाम वकील जान सत्यन का है। पहले केंद्र ने सत्यन की सिफारिश कॉलेजियम को पुर्नविचार के लिए भेज दी थी।

सरकार की आपत्ति में सत्यन द्वारा शेयर किये गए एक लेख का जिक्र था जिसमें प्रधानमंत्री की आलोचना की गई थी, लेकिन कॉलेजियम ने आपत्ति खारिज करते हुए अपनी सिफारिश दोहरा दी थी।

कॉलेजियम ने 21 मार्च को हुई बैठक में चार जिला न्यायाधीशों आर शक्तिवेल, पी. धनबल, चिन्नासामी कम्परप्पन और के. राजशेखर को मद्रास हाई कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की है। साथ ही कॉलेजियम ने सरकार से कहा है कि उसने 17 जनवरी को वकील रामासामी नीलकंदन को मद्रास हाई कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की थी।

कॉलेजियम ने कहा है कि 31 जनवरी, 2023 को नीलकंदन की आयु 48 वर्ष 7 महीने थी, जबकि उस तारीख पर के. राजशेखर (न्यायिक अधिकारी जिनकी नियुक्ति की अभी सिफारिश की गई है) की आयु 47 वर्ष 9 महीने थी। ऐसे में नीलकंदन जिनके नाम की सिफारिश पहले की गई थी उनकी नियुक्ति राजशेखर से पहले होनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होगा, तो राजशेखर जो न्यायिक अधिकारी हैं और नीलकंदन से जूनियर हैं, वह नीलकंदन से वरिष्ठ हो जाएंगे।

वरिष्ठ वकील सौरभ किरपाल को दिल्ली हाई कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त करने की कॉलेजियम दो बार से ज्यादा सिफारिश दोहरा चुका है, लेकिन अभी तक सरकार ने सौरभ किरपाल की नियुक्ति नहीं की है। सौरभ के बारे में यौन अभिरुचि का मुद्दा उठाया गया था उनके विदेशी पार्टनर का भी मुद्दा उठाया गया था, लेकिन कॉलेजियम ने दोनों ही आपत्तियां खारिज कर दी थीं और नियुक्ति की सिफारिश दोहराई थी।


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