60 लाख वाली BMW के लिए लोकपाल ने निकाला टेंडर, सात कारों की होनी है डिलीवरी; क्या है पूरा मामला?
भारत के भ्रष्टाचार निरोधक प्राधिकरण लोकपाल ने प्रशासनिक कार्यों के लिए सात बीएमडब्ल्यू 330 Li लग्जरी कारें खरीदने के लिए टेंडर जारी किया है, जिनकी अनुमानित लागत 5 करोड़ रुपये से अधिक है। इन कारों के साथ ड्राइवरों और कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा। लोकपाल, जिसकी स्थापना 2013 में हुई, भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने का अधिकार रखता है, और यह कदम संस्था की कार्यक्षमता को मजबूत करने की दिशा में है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत के भ्रष्टाचार निरोधक प्राधिकरण लोकपाल ने अपनी प्रशासनिक और ट्रांसपोर्ट सुविधाओं के लिए कदम उठाया है।
लोकपाल ने सात बीएमडब्ल्यू 330 Li (लॉन्ग व्हील बेस) लग्जरी कार खरीदने के लिए 16 अक्टूबर को एक सार्वजनिक टेंडर जारी किया है। इन कारों की अनुमानित कीमत 60 लाख रुपये प्रति कार से अधिक है। इसकी कुल लागत 5 करोड़ रुपये से ज्यादा होने की संभावना है।
इस टेंडर के तहत, इच्छुक आपूर्तिकर्ताओं से बोली आमंत्रित की गई हैं और बोली मूल्यांकन की प्रक्रिया 7 नवंबर से शुरू होगी।
लक्जरी कारों के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रम
लोकपाल की ओर से खरीदी जाने वाली ये सात बीएमडब्ल्यू 330 Li कारें अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस हैं। कारों की डिलीवरी के बाद, बीएमडब्ल्यू कंपनी लोकपाल के ड्राइवरों और कर्मचारियों के लिए एक सप्ताह का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेगी।
इस ट्रेनिंग में वाहनों की तकनीकी प्रणाली, सुरक्षा सुविधाएं और परिचालन निर्देश शामिल होंगे। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि कारों का इस्तेमाल सुरक्षित और प्रभावी ढंग से हो।
क्या होता है लोकपाल?
लोकपाल भारत का एक स्वतंत्र भ्रष्टाचार निरोधक प्राधिकरण है, जिसकी स्थापना लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के तहत की गई थी। यह संस्था 2010 में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के जन लोकपाल आंदोलन के बाद संसद द्वारा पारित कानून के तहत अस्तित्व में आई।
वर्तमान में लोकपाल के अध्यक्ष जस्टिस अजय माणिकराव खानविलकर हैं, जो भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश हैं।
लोकपाल को प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों और केंद्र सरकार के समूह A, B, C और D के अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने का अधिकार है।
इसके अलावा, यह उन बोर्ड, निगमों, ट्रस्टों या सोसाइटियों के खिलाफ भी जांच कर सकता है, जो संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित हैं या केंद्र सरकार से वित्त पोषित हैं, या जिन्हें 10 लाख रुपये से अधिक की विदेशी सहायता प्राप्त होती है।
राज्यों में लोकायुक्त की भूमिका
लोकपाल जहां राष्ट्रीय स्तर पर भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करता है, वहीं राज्यों में इसी तरह की जिम्मेदारी लोकायुक्त निभाते हैं।
यह व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर प्रभावी ढंग से हो। लोकपाल का यह कदम, जिसमें आधुनिक संसाधनों का उपयोग शामिल है, संस्था की कार्यक्षमता को और मजबूत करने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।