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    जम्मू-कश्मीर में निकाय चुनावों में OBC को मिलेगा आरक्षण, विपक्ष के आरोपों पर केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय का करारा जवाब

    जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में स्थानीय निकायों के चुनाव में भी अब अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) (OBC quota) को आरक्षण मिल सकेगा। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने सरकार की ओर से जवाब देते हुए विपक्ष के आरोपों को खारिज किया। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सब तरफ विकास है। केंद्र शासित इस प्रदेश में अभी तक पंचायतों और नगर पालिकाओं में ओबीसी के लिए आरक्षण का प्रविधान नहीं था।

    By Jagran News Edited By: Nidhi Avinash Updated: Tue, 06 Feb 2024 08:35 PM (IST)
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    जम्मू-कश्मीर में निकाय चुनावों में OBC को मिलेगा आरक्षण (Image: ANI)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में स्थानीय निकायों के चुनाव में भी अब अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण मिल सकेगा। संबंधित विधेयक को लोकसभा में मंगलवार को चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने सरकार की ओर से जवाब देते हुए विपक्ष के आरोपों को खारिज किया। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सब तरफ विकास है।

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    विपक्ष ने आरोप लगाया था कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर की जनता परेशान है। विधेयक के जरिए जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम-1989; जम्मू-कश्मीर निगम अधिनियम-2000 और जम्मू-कश्मीर नगर निगम अधिनियम-2000 में संशोधन किया गया।

    ओबीसी के लिए आरक्षण का प्रविधान नहीं

    केंद्र शासित इस प्रदेश में अभी तक पंचायतों और नगर पालिकाओं में ओबीसी के लिए आरक्षण का प्रविधान नहीं था। नित्यानंद राय ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य निकाय चुनावों में निष्पक्षता को स्थापित करना है। अनुच्छेद 370 और 35ए हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। शांति-सुरक्षा के साथ सिंचाई, कृषि एवं पर्यटन को गति मिली है। सामाजिक एवं आर्थिक गतिविधियों में सुधार है।

    प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों का नतीजा है कि हिंसा, पत्थरबाजी एवं आतंकी घटनाओं में कमी आई है। वहां के लोगों ने सरकार पर भरोसा किया है। जम्मू के भाजपा सांसद जुगल किशोर शर्मा ने कहा कि प्रदेश में ओबीसी को आरक्षण देकर उन्हें विकास के रास्ते पर लाया गया है। पहले वहां इस वर्ग को नजरअंदाज किया जा रहा था। कांग्रेस ने वोट तो लिए मगर इस समुदाय के साथ इंसाफ नहीं किया।

    विपक्षी सदस्यों की मांग

    इसके पहले विपक्षी सदस्यों ने जम्मू-कश्मीर में पंचायत एवं निकाय चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव भी कराने की मांग की। चर्चा में भाग लेते हुए नेशनल कान्फ्रेंस के सांसद हसनैन मसूदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कुछ महीने पहले ही चुनाव आयोग से इस साल सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने के लिए कहा था। केंद्र सरकार को शीर्ष अदालत के हस्तक्षेप से पहले चुनाव कराने पर निर्णय ले लेना चाहिए था। मसूदी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक दिन पहले कहा था कि सरकार बड़े फैसले लेगी।

    ऐसा कोई फैसला लेने से पहले विधानसभा चुनाव कराकर पूर्ण राज्य का दर्जा फिर से देना चाहिए। गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा ने हस्तक्षेप करते हुए बताया कि पहले इस राज्य में ओबीसी आरक्षण का प्रविधान नहीं था। तृणमूल कांग्रेस सदस्य सौगत राय एवं राकांपा की सुप्रिया सुले ने भी सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का जिक्र करते हुए राज्य में विधानसभा चुनाव कराने पर जोर दिया।

    'निकाय चुनावों में भाजपा पर भरोसा नहीं किया जा सकता'

    सौगत ने आरोप लगाया कि निकाय चुनावों में भाजपा पर भरोसा नहीं किया जा सकता है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ में मेयर चुनाव के तरीके पर सख्त आदेश दिए थे। सुप्रिया सुले ने कहा कि चुनाव तिथि तो आयोग तय करेगा, लेकिन केंद्र सरकार एक समयसीमा तो तय कर ही सकती है। चर्चा में कांग्रेस के जसबीर ¨सह गिल, वाईएसआरसीपी की चिंता अनुराधा, शिवसेना के प्रताप राव जाधव एवं जदयू के कौशलेंद्र कुमार ने भी हिस्सा लिया।

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