लोकसभा में SIR पर घमासान, शीतकालीन सत्र की शुरुआत से ही पक्ष-विपक्ष आमने-सामने; कार्यवाही स्थगित
संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन, एसआईआर के मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार को घेरा। बिहार में मतदाता सूची से नाम हटाने पर हंगामा हुआ, जिसके चलते कार्यवाही बाधित हुई। वित्त मंत्री ने कुछ विधेयक पेश किए, लेकिन शोर-शराबे में उन पर चर्चा नहीं हो सकी। विपक्ष एसआईआर पर तत्काल बहस चाहता है, जिससे सत्र में टकराव की स्थिति बनी हुई है।
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शीतकालीन सत्र की शुरुआत से ही पक्ष-विपक्ष आमने-सामने (फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र का पहला ही दिन पक्ष-विपक्ष के तीखे टकराव में बदल गया, जिसने साफ कर दिया कि विशेष मतदाता गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) आगे भी पूरी कार्यवाही पर हावी रहेगा। सोमवार को सदन की शुरुआत होते ही कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष एसआइआर को लोकतंत्र पर खतरा बताते हुए सरकार पर हमलावर हो गया।
विपक्षी सदस्यों का सीधा आरोप था कि बिहार में मतदाता सूची से बाहर किए गए लाखों लोग कौन थे और किस प्रक्रिया के तहत ऐसा किया गया। सदन में जैसे ही शोक संदेश और सम्मान प्रस्ताव पूरे हुए, विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते हुए वेल में आ गए और हंगामा करने लगे।
कार्यवाही हुई बाधित
कार्यवाही पूरी तरह बाधित हो गई। स्पीकर ओम बिरला ने बार-बार आग्रह किया कि मतभेद केवल चर्चा से सुलझते हैं और जनता अपने प्रतिनिधियों से जवाबदेही चाहती है, लेकिन विपक्ष का रुख अडिग रहा। सवालों और सदन के नियमित कामकाज पर लौटने की अपील भी बेअसर रही और हंगामे के बीच पहली बार कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित करनी पड़ी।
दोबारा बैठक शुरू हुई तो तनाव और बढ़ गया। इसी माहौल में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शून्यकाल में तीन महत्वपूर्ण विधेयक, केंद्रीय उत्पाद शुल्क संशोधन विधेयक, स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक और मणिपुर जीएसटी दूसरा संशोधन विधेयक सदन में रखे। इसी दौरान वर्ष 2025-26 के अनुपूरक अनुदान भी पेश किए गए।
हालांकि शोर-शराबे में इन पर कोई गंभीर विमर्श नहीं हो सका और विरोध तेज होता गया।बार-बार की नारेबाजी और वेल में लगातार बढ़ते तनाव के कारण सदन को दूसरी बार स्थगित करना पड़ा। दोपहर बाद कार्यवाही फिर शुरू हुई तो माहौल पहले से भी अधिक अव्यवस्थित था।
विपक्षी सदस्य एसआइआर पर तत्काल चर्चा की मांग पर अड़े रहे और सरकार पर गंभीर सवालों की अनदेखी का आरोप लगाते रहे। हंगामे के बीच मणिपुर जीएसटी संशोधन विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया गया, जबकि अधिकांश विपक्षी सांसद विरोध में वेल में ही खड़े रहे।
SIR पर बहस नहीं टलेगी
पहले ही दिन जिस तरह सदन लगभग ठप रहा और बार-बार स्थगन की नौबत आई, उसने संकेत दे दिया है कि एसआइआर पर बहस टलेगी नहीं। सरकार अपने प्रमुख विधेयकों को मंजूरी दिलाने के एजेंडे के साथ सत्र में उतरी है, लेकिन विपक्ष एसआइआर पर चर्चा के बिना सदन चलने देने के पक्ष में नहीं है। इशारा साफ है कि आने वाले दिनों में सदन का माहौल और अधिक गरमाने वाला है। यह टकराहट लंबे समय तक सत्र की दिशा तय करेगी।

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