Election 2024: INDI गठबंधन में दरार, वायनाड में भाकपा ने राहुल गांधी के खिलाफ उतारा प्रत्याशी, थरूर की भी बढ़ीं मुश्किलें
लोकसभा चुनाव से पहले ही केरल में आईएनडीआईए में सोमवार को दरार उभर कर सामने आई। गठबंधन में शामिल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने बहुचर्चित लोकसभा सीट वायनाड से अपनी वरिष्ठ नेता एन्नी राजा को प्रत्याशी बनाने की घोषणा की है। वायनाड से वर्तमान में कांग्रेस नेता राहुल गांधी सांसद हैं। इसके साथ ही पार्टी ने तिरुअनंतपुरम लोकसभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर को भी चुनौती दी है।

पीटीआई, तिरुअनंतपुरम। लोकसभा चुनाव से पहले ही केरल में आईएनडीआईए में सोमवार को दरार उभर कर सामने आ गई। गठबंधन में शामिल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने बहुचर्चित लोकसभा सीट वायनाड से अपनी वरिष्ठ नेता एन्नी राजा को प्रत्याशी बनाने की घोषणा की है।
वायनाड से वर्तमान में कांग्रेस नेता राहुल गांधी सांसद हैं। इसके साथ ही पार्टी ने तिरुअनंतपुरम लोकसभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर को भी चुनौती दी है। उनके विरुद्ध भाकपा पूर्व सांसद पन्नियन रवींद्रन को प्रत्याशी बनाएगी। भाकपा के प्रदेश सचिव बिनय विश्वम ने सोमवार को तिरुअनंतपुरम में एक संवाददाता सम्मेलन में केरल की चार लोकसभा सीटों के लिए पार्टी के प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की।
त्रिसूर सीट से पूर्व कृषि मंत्री वीएस सुनील कुमार प्रत्याशी
राज्य की त्रिसूर सीट से पूर्व कृषि मंत्री वीएस सुनील कुमार और मावेलिक्कारा से भाकपा से संबंद्ध ऑल इंडिया यूथ फेडरेशन (एआईवाईएफ) के नेता सीए अरुणकुमार भाकपा के प्रत्याशी होंगे।
राहुल के प्रति हमारे मन में बहुत सम्मान
आईएनडीआईए में शामिल भाकपा ने नया विवाद पैदा करते हुए कांग्रेस से यह बताने को कहा है कि क्या राहुल को केरल से ही चुनाव में उतारने की आवश्यकता है, उत्तर भारत से नहीं? विश्वम ने कहा कि राहुल के प्रति हमारे मन में बहुत सम्मान है और उन्हें देश के किसी भी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने का अधिकार है, लेकिन कांग्रेस अपनी स्थिति स्पष्ट करे।
राहुल को वायनाड से चुनाव नहीं लड़ना चाहिए- भाकपा
गौरतलब है कि पिछले वर्ष सितंबर में भाकपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने कांग्रेस से कहा था कि चूंकि उनकी पार्टी आईएनडीआईए में शामिल है, इसलिए कांग्रेस नेता राहुल को वायनाड से चुनाव नहीं लड़ना चाहिए। हालांकि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की अगुआई वाले वाम दलों के गठबंधन के कड़े विरोध के बाद भाकपा ने अपनी बात वापस ले ली थी, लेकिन सोमवार को यह मुद्दा एक बार फिर उभर गया है।
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