कहीं 54.4 तो कहीं 48 घंटे करना पड़ता है काम, इन देशों में सबसे लंबी ड्यूटी करते हैं कर्मचारी; देखिए टॉप 10 सूची
पिछले साल पुणे में 26 साल की अन्ना सेबेस्टियन की मौत ने सबका ध्यान खींचा था। नौकरी ज्वाइन करने के चार महीने में ही अन्ना सेबेस्टियन की मौत हो गई थी। उनकी मां ने एक पत्र लिखकर दावा किया था कि अधिक काम के दबाव में उनकी बेटी की जान गई है। अब एलएंडटी के चेयरमैन ने नई बहस छेड़ दी है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति के बाद लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यण ने हफ्ते में 90 घंटे काम की वकालत करके देशव्यापी नई बहस छेड़ दी है।
इस बीच महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा, आरपीजी ग्रुप के चेयरमैन हर्ष गोयनका, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला और फिल्म अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने न केवल इस पर प्रतिक्रिया दी बल्कि एसएन सुब्रह्मण्यण से अलग अपनी राय रखी।
सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे पर बहस खूब हो रही है। नारायण मूर्ति ने सप्ताह में 70 घंटे काम करने की सलाद दी थी। अब प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने भी इस तरह की मांग को मूर्खतापूर्ण करार दिया है।
अब सवाल यह उठ रहा है कि लंबे वक्त तक कर्मचारियों से काम कराना कितना सही है? आइए जानते हैं अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के आकड़े क्या कहते हैं।
शीर्ष देशों में भारत भी शामिल
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कर्मचारी पहले से ही अत्याधिक काम के दवाब से गुजर रहे हैं। अधिक काम के मामले में भारत दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल हैं।
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के मुताबिक भारत में कर्मचारी औसतन हर सप्ताह में 46.7 घंटे काम करते हैं। वैश्विक स्तर पर भारत इस मामले में 13वें स्थान पर है।
ये हैं सबसे अधिक काम करने वाले टॉप देश
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की 2024 रिपोर्ट के मुताबिक,
- भूटान: एक हफ्ते में सबसे अधिक काम भूटान में कर्मचारी करते हैं। यहां कर्मचारी औसतन 54.4 घंटे हर हफ्ते ड्यूटी करते हैं।
- संयुक्त अरब अमीरात: दूसरे नंबर पर संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) का नाम आता है। यहां कर्मचारी प्रति सप्ताह 50.9 घंटे काम करते हैं।
- लेसोथो: सूची में तीसरा नाम लेसोथो का है। यहां कर्मचारियों को औसतन 50.4 घंटे काम करना पड़ता है।
- कांगो: प्रत्येक हफ्ते 48.6 घंटे काम के साथ कांगो चौथे स्थान पर है।
- कतर: इस देश का नाम पांचवें स्थान पर आता है। यहां 48 घंटे की ड्यूटी करनी पड़ती है।
देश | काम के घंटे (सप्ताह में) | स्थान |
लाइबेरिया | 47.7 | छठा |
मॉरिटानिया | 47.6 | सातवां |
लेबनान | 47.6 | आठवां |
मंगोलिया | 47.3 | नौवां |
जॉर्डन | 47 | दसवां |
सबसे कम घंटे काम वाले देश
2024 में कर्मचारियों को सप्ताह में सबसे कम काम वानुअतु देश में करना पड़ा। यहां कर्मचारियों ने हफ्ते में औसतन 24.7 घंटे की ड्यूटी की है।
किरबाती में हर हफ्ते 27.3, माइक्रोनेशिया में 30.4 रवांडा में 30.4, सोमालिया 31.4, नीदरलैंड 31.6, इराक में 31.7 घंटे काम करना पड़ा है।
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