कर्नाटक: लिंगायत समुदाय की अलग धर्म की फिर उठी मांग, मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने दी प्रतिक्रिया
कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने की मांग फिर से उठी है जिस पर मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने कहा कि लोगों का रुख ही उनका रुख है। उन्होंने यह भी कहा कि यह मुद्दा हमेशा से रहा है और कुछ विरक्त मठ स्वामी इसकी मांग कर रहे हैं। भाजपा ने सिद्दरमैया की आलोचना की है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने की मांग का मुद्दा फिर से चर्चा में आ गया है। इस पर मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने सोमवार को अपनी प्रतिक्रिया दी है।
लिंगायत समुदाय द्वारा अलग धर्म का दर्जा दिए जाने की मांग पर उन्होंने कहा, "मेरा कोई रुख नहीं है। लोगों का रुख ही मेरा रुख है। सर्वेक्षण के दौरान हम वही लिखेंगे जो वे अपना धर्म बताएंगे।" इस मुद्दे के फिर से उठने पर सिद्दरमैया ने कहा कि यह मुद्दा हमेशा से रहा है। कुछ विरक्त मठ स्वामी इसकी मांग कर रहे हैं।
सिद्दारमैया की हुई आलोचना
इससे पहले रविवार को मुख्यमंत्री ने लिंगायत को एक अलग धर्म बताया था। कर्नाटक भाजपा ने मुख्यमंत्री सिद्दरमैया की इस बात के लिए कड़ी आलोचना की है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक बीवाई विजयेंद्र ने कहा कि सार्वजनिक बयानबाजी एक बात है, लेकिन मुख्यमंत्री को अपने इरादे स्पष्ट करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अलग धर्म की मांग फिर से उठ खड़ी हुई है। वीरशैव-लिंगायत या लिंगायत धर्म पर चर्चा फिर से सामने आ गई है और जनता जानती है कि इस मुद्दे पर कौन बोल रहा है। उन्होंने सवाल किया कि हमें आज हिंदू धर्म की रक्षा करनी चाहिए और इसे विभाजित करने की कोशिशों से सावधान रहना चाहिए।
क्या है लिंगायत की मांग?
साथ ही, समाज को एकजुट करने के प्रयास भी करने चाहिए। लिंगायत मातादीशरा ओक्कुटा द्वारा रविवार को आयोजित बसव संस्कृति अभियान-2025 के समापन समारोह में लिंगायत समुदाय ने एक अलग धर्म का दर्जा दिए जाने की मांग उठाई गई थी। समारोह में पारित पांच प्रस्तावों में लिंगायतों की धार्मिक मान्यता के बारे में जागरूकता बढ़ाना भी शामिल है। प्रस्ताव में कहा गया है कि सभी लिंगायत पहले भारतीय हैं।
सिद्दारमैया ने क्या कहा?
लिंगायत धर्म कन्नड़ का धर्म है। धर्म से पहले देश आता है। राष्ट्रीय चेतना के साथ देश की एकता के लिए सदैव प्रयासरत रहें। समारोह में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, मंत्री एम बी पाटिल, शरण प्रकाश पाटिल, लक्ष्मी हेब्बालकर आदि शामिल हुए थे। वहीं, जाति जनगणना पर मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने कहा कि जो लोग समतावादी समाज के निर्माण का विरोध कर रहे हैं, वे इसके बारे में भ्रामक बयान दे रहे हैं।
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