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    'आरक्षण का ऑप्शन खुला', ब्यूरोक्रेसी में लेटरल एंट्री पर क्या बोले जितेंद्र सिंह?

    Updated: Wed, 16 Jul 2025 11:53 PM (IST)

    केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि ब्यूरोक्रेसी में लेटरल एंट्री को खत्म नहीं किया गया है और सरकार इसमें आरक्षण के लिए विकल्प खुला रखेगी। उन्होंने लेटरल एंट्री को संस्थागत बनाने का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को दिया। जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा उचित समय पर बहाल किया जाएगा।

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    केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने लेटरल एंट्री पर कही ये बात। (फाइल फोटो)

    पीटीआई, नई दिल्ली। केंद्रीय कार्मिक, जनशिकायत और पेंशन मंत्री जितेंद्र सिंह ने बुधवार को कहा कि ब्यूरोक्रेसी में लेटरल एंट्री को खत्म नहीं किया गया है और सरकार ने इसमें आरक्षण के लिए विकल्प खुला रखा है। हालांकि पहले इसे व्यवहारिक नहीं माना गया था।

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    जितेंद्र सिंह ने एक इंटरव्यू में लेटरल एंट्री को संस्थागत बनाने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिया। उन्होंने कहा, ''पहले यह व्यक्तिपरक होता था, लेकिन मोदी सरकार ने ऐसी भर्तियों के लिए एक संस्थागत ढांचा तैयार किया और उन्हें यूपीएससी के माध्यम से आगे बढ़ाया।''

    लेटरल एंट्री के तहत निजी क्षेत्र सहित विशेषज्ञों को सरकारी विभागों में नियुक्त किया जाता है। इसमें आरक्षण का प्रविधान नहीं होने को लेकर राजनीतिक विवाद के बाद यूपीएससी ने पिछले वर्ष अगस्त में सरकारी विभागों में लेटरल एंट्री के जरिये प्रमुख पदों को भरने का अपना विज्ञापन रद कर दिया था।

    जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा कब मिलेगा?

    जितेंद्र सिंह ने कहा, ''हमें लगा कि यह (लेटरल एंट्री में आरक्षण) व्यवहारिक नहीं है। लेकिन अगर कोई विकल्प हैं जिन्हें व्यवहार में लाया जा सकता है, तो हम अभी भी इसके लिए तैयार हैं।'' जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य के दर्जे से जुड़े सवाल पर जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह दर्जा उचित समय पर बहाल किया जाएगा और सभी को इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिए गए सार्वजनिक आश्वासन पर भरोसा करना चाहिए।

    कांग्रेस की चिट्ठी को बताया अप्रासंगिक 

    कांग्रेस के शीर्ष नेताओं मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी की ओर से प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र को भी उन्होंने ''अप्रासंगिक'' बताकर खारिज कर दिया, जिसमें जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए संसद के आगामी मानसून सत्र में विधेयक लाने की मांग की गई थी।

    केंद्रीय सचिवालय अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत में जितेंद्र ¨सह ने कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में सेंट्रल स्टाफिंग स्कीम (सीएसएस) अधिक पारदर्शी, योग्यता-आधारित और प्रदर्शन-आधारित हो गई है।

    इस स्कीम के तहत अधिकारियों को केंद्र में प्रमुख पदों पर कार्य अवसर प्रदान किया जाता है। इसमें केंद्र सरकार के विभागों में उप-सचिव या निदेशक और उससे ऊपर के पदों पर नियुक्ति का प्रविधान है। इसमें सभी राज्य सरकारों और प्रतिभागी ग्रुप-ए सेवाओं के अधिकारी लिए जाते हैं।

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