ऑपरेशन सिंदूर से खौफ में लश्कर-ए-तैयबा, अपने अड्डों को अफगान सीमा के पास कर रहा स्थानांतरित
ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किए जाने के चार महीने बाद अब लश्कर-ए-तैयबा (एलइटी) पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में अपने ठिकाने को स्थानांतरित कर रहा है। इससे पहले जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन भी अपने अड्डे स्थानांतरित कर चुके हैं। ऑपरेशन सिंदूर में जिस तरह से भारत ने उसके ठिकानों को मिट्टी में मिलाया था उससे आतंकी संगठन डरे हुए हैं।

आइएएनएस, नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किए जाने के चार महीने बाद अब लश्कर-ए-तैयबा (एलइटी) पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में अपने ठिकाने को स्थानांतरित कर रहा है। अफगान सीमा के पास 'मरकज जिहाद-ए-अक्सा' बना रहा है। इससे पहले जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन भी अपने अड्डे स्थानांतरित कर चुके हैं।
ऑपरेशन सिंदूर से डर का माहौल
ऑपरेशन सिंदूर में जिस तरह से भारत ने उसके ठिकानों को मिट्टी में मिलाया था उससे आतंकी संगठन डरे हुए हैं। भारत से बचने के लिए आतंकी संगठन अफगानिस्तान सीमा के पास शिफ्ट हो रहे हैं, हालांकि, भारतीय सेना के शीर्ष सूत्रों ने दावा किया है कि जरूरत पड़ने पर सेना ऐसे दूरस्थ स्थानों पर हमला करने में सक्षम है।
विडंबना है कि एक ओर पाकिस्तान खैबर पख्तूनख्वा में आतंकवाद को बेअसर करने के नाम पर अपने ही नागरिकों को मार रहा है, जबकि दूसरी ओर आइएसआइ खैबर पख्तूनख्वा में जैश-ए-मोहम्मद, हिज्बुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों को स्थानांतरित करने की अनुमति दे रही है।
फोटो और वीडियो से हुई पुष्टि
22 सितंबर को मिली जानकारी, जिसमें फोटो और वीडियो भी शामिल हैं से पुष्टि होती है कि जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और हिजबुल मुजाहिदीन (एचएम) के बाद अब पाकिस्तान के राज्य प्रायोजित और संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकी संगठन एलइटी अफगान सीमा से लगभग 47 किलोमीटर दूर, निचले दीर जिले के कुंभन मैदान क्षेत्र में नया आतंकी प्रशिक्षण और आवासीय केंद्र, 'मरकज जिहाद-ए-अक्सा' बना रहा है।
इसका निर्माण आपरेशन सिंदूर के दो महीने बाद जुलाई में शुरू हुआ था। ग्राफिक्स और वीडियो से पता चलता है कि पहली मंजिल का ढांचा तैयार हो चुका है, और बाकी काम चल रहा है।
लश्कर-ए-तैयबा का नया प्रशिक्षण जल्द होगा पूरा
यह लश्कर-ए-तैयबा की हाल ही में निर्मित 'जामिया अहले सुन्नत मस्जिद' के निकट लगभग 4,643 वर्ग फीट खाली भूमि पर है। लश्कर-ए-तैयबा का नया प्रशिक्षण केंद्र दिसंबर 2025 तक पूरा हो सकता है। हालांकि अभी भी इसका निर्माण कार्य चल रहा है, लेकिन यह कट्टरपंथ और आतंकी प्रशिक्षण केंद्र के रूप में उभर रहा है।
उल्लेखनीय है कि निकटवर्ती मरकज जामिया अहले सुन्नत का निर्माण कार्य 80 प्रतिशत ही पूरा हुआ है, फिर भी लश्कर-ए-तैयबा ने अपनी सारी ऊर्जा, संसाधन और धन जिहाद-ए-अक्सा प्रशिक्षण केंद्र के निर्माण में लगा दिया है।
नए केंद्र की कमान नसर जावेद को सौंपी गई है, जो भारत में 2006 के हैदराबाद विस्फोट का मास्टरमाइंड है, जिसने पहले 2004 से 2015 तक गुलाम जम्मू कश्मीर में लश्कर के दुलाई प्रशिक्षण शिविर का संचालन किया था और वर्तमान में लश्कर की धन उगाहने वाली शाखा खिदमत-ए-खल्क (पूर्व में फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन, संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित) के साथ काम कर रहा है।
मुहम्मद यासीन (उर्फ बिलाल भाई) को जिहादी तैयार करने का काम सौंपा गया है, जबकि हथियार प्रशिक्षण की जिम्मेदारी अनस उल्लाह खान को सौंपी गई है, जिसने 2016 में लश्कर के गढ़ी हबीबुल्लाह शिविर में प्रशिक्षण प्राप्त किया था।
आतंकवादी आंदोलन को छुपाने के लिए बनाए जाते हैं मरकज
प्रतीत होता है कि मरकज जामिया अहले सुन्नत के निकट शिविर की स्थापना जानबूझकर की गई है ताकि भर्ती, सैन्य सहायता और धार्मिक गतिविधि की आड़ में आतंकवादी आंदोलन को छुपाने के लिए कवर प्रदान किया जा सके। सूत्रों के अनुसार, मरकज जिहाद-ए-अक्सा के अलावा, "लश्कर-ए-तैयबा मरकज-ए-खैबर गढ़ी हबीबुल्लाह और बत्रासी में मौजूदा शिविरों का विस्तार करने की साजिश रच रहा है।
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