जमीन के बदले नौकरी घोटाला: सीबीआई को अंतिम आरोपपत्र दाखिल करने के लिए मिले दो सप्ताह
नौकरी के बदले जमीन घोटाले से जुड़े मामले में अदालत ने सीबीआई को अंतिम आरोप पत्र दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया। राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने सीबीआई की दलीलें सुनने के बाद मामले को 14 मार्च को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। सुनवाई के दौरान सीबीआई ने अदालत को सूचित किया कि उसकी जांच निष्कर्ष के करीब है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। नौकरी के बदले जमीन घोटाले से जुड़े मामले में अदालत ने सीबीआई को अंतिम आरोप पत्र दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया। राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने सीबीआई की दलीलें सुनने के बाद मामले को 14 मार्च को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
सुनवाई के दौरान सीबीआई ने अदालत को सूचित किया कि उसकी जांच निष्कर्ष के करीब है और वह जल्द ही अंतिम आरोप पत्र दाखिल करेगी। सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से पेश अधिवक्ता ने अंतिम आरोपपत्र दाखिल करने के लिए सात से 10 दिन का समय देने का अनुरोध किया।
फरवरी के अंत तक पूरक आरोप पत्र दायर
एजेंसी ने राजद नेता अहमद अशफाक करीम द्वारा जांच के दौरान जब्त किए गए 13 लाख रुपये की नकद राशि जारी करने के लिए दायर एक आवेदन पर जवाब देते हुए अदालत को सूचित किया था कि वह फरवरी 2024 के अंत तक पूरक आरोप पत्र दायर करेगी।
पूरा मामला बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, उनके परिवार के सदस्यों और अन्य आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र के साथ दायर दस्तावेजों की जांच के चरण में है।
सीबीआई ने 17 लोगों को आरोपित बनाया है
नौकरी के बदले जमीन घोटाले में सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव, पश्चिम मध्य रेलवे (डब्ल्यूसीआर) के तत्कालीन जीएम, डब्ल्यूसीआर के दो सीपीओ, निजी व्यक्तियों, निजी कंपनी सहित 17 लोगों को आरोपित बनाया है।
ये है पूरा मामला
यह आरोप लगाया गया है कि 2004-2009 की अवधि के दौरान तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री ने ग्रुप डी पद पर अलग-अलग पदों पर नियुक्ति के बदले में अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर भूमि संपत्ति के हस्तांतरण के रूप में आर्थिक लाभ प्राप्त किया था। यह भी आरोप लगाया गया कि जोनल रेलवे में स्थानापन्न की ऐसी नियुक्तियों के लिए कोई विज्ञापन या कोई सार्वजनिक सूचना जारी नहीं की गई थी, फिर भी जो नियुक्त व्यक्ति पटना के निवासी थे, उन्हें मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में स्थित विभिन्न जोनल रेलवे में स्थानापन्न के रूप में नियुक्त किया गया था।
नौकरी की पेशकश कर जमीन हड़पने की योजना बनाई
जांच के दौरान, यह पाया गया कि तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री ने उन स्थानों पर स्थित भूमि पार्सल का अधिग्रहण करने के इरादे से, जहां उनके परिवार के पास पहले से ही भूमि पार्सल थे या जो स्थान पहले से ही उनसे जुड़े हुए थे, उन्होंने सहयोगियों और परिवार के सदस्यों के साथ साजिश रची और रेलवे में ग्रुप डी में नौकरी की पेशकश कर विभिन्न भूमि मालिकों की जमीन हड़पने की योजना बनाई।
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