जाधव मामले में जीत से तीन साल की उपलब्धियों में लगा चार चांद
सिर्फ तीसरे साल की ही बात की जाए तो पाकिस्तान की सीमा में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की घटना भारत मे पहली बार हुई थी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। यूं तो आक्रामक कूटनीति केंद्र सरकार की उपलब्धियों में हमेशा से शुमार रही है, कुलभूषण जाधव के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में भी पाकिस्तान को दी गई पटखनी ने तीन साल के जश्न को चार चांद लगा दिया है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी समेत जहां कई विपक्षी दलों ने भारत की जीत पर खुशी जताई। वहीं तय माना जा सकता है कि तीन साल के कार्यक्रमों व समारोहों में इसका जिक्र होगा कि भारत ने पहली बार नागरिक की सुरक्षा को लेकर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
मोदी सरकार कई मायनों में इतिहास बनाती रही है। सिर्फ तीसरे साल की ही बात की जाए तो पाकिस्तान की सीमा में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की घटना भारत मे पहली बार हुई थी। पिछले वर्षोँ में विदेशों मे फंसे भारतीयों को सटीक तरीके से निकालने का अभियान भी किया जा चुका था। लेकिन जाधव का मामला इस कारण से भी राजनीतिक रंग ले सकता है क्योंकि संप्रग काल में गर्म रहे सरबजीत सिंह का केस बहुत अलग नहीं था। तत्कालीन सरकार लाख कोशिशों के बावजूद सरबजीत को नहीं बचा पाई। बल्कि उस सरकार ने अंतरराष्ट्रीय कोर्ट तक जाने की सोच भी नहीं दिखाई थी। सरबजीत ने पाक के अस्पताल में अंतिम सांस ली थी।
भारत ने पहली बार नागरिक सुरक्षा के लिए शीर्ष स्तर तक दरवाजा खटखटा कर उस अमेरिकी सोच की झलक दिखाई है जिसमें नागरिकों के लिए सरकार कोई कोर कसर नहीं छोड़ती है। मोदी सरकार का यह नया प्रयास राजनीतिक रंग भी दिखाएगी इसमें आशंका का गुंजाइश नहीं है। ध्यान रहे कि सरकार और भाजपा 26 मई से 15 जून तक तीन साल पूरे करने के उपलक्ष्य मे कई आयोजन कर रही है। जाहिर है कि जाधव को सुरक्षित बचाकर लाने की मुहिम में पहली ठोस जीत ने सरकार की उपलब्धियों की सूची में नया आयाम जोड़ दिया है।
मोदी सरकार के तीन साल के कामकाज पर सवाल उठा रहे विपक्षी दल इस मुद्दे पर सरकार को बधाई देने से बचे। हेग गई टीम को उन्होंने बधाई दी और सरकार से यह अपेक्षा की इस मामले में और ठोस कदम के साथ जाधव को बचाया जाएगा। यानी विपक्ष भरसक कोशिश करेगा कि सरकार को इसका श्रेय न दिया जाए। पर विपक्ष का यह डर ही सरकार के लिए डंके का काम करेगा।
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